- कब जायें
- कैसे जायें
- फूलों की घाटी यात्रा प्लान
- यात्रा प्लान के लिये सुझाव
- रात्रि-विश्राम
- महत्वपूर्ण संसाधनों की उपलब्धतायें
फूलों की घाटी (यात्रा-वृतांत) :
भाग-1 भाग-2 भाग-3 भाग-4 भाग-5 भाग-6
फूलों की घाटी कब जायें
नवंबर/दिसंबर से घाटी में बर्फ का गिरना आरंभ हो जाता है। फिर सर्दियों-भर की बर्फबारी के बाद घाटी को मई के आसपास ही खोला जाता है। भारत में लगभग इसी समय मानसून का आगमन भी हो जाता है। हालांकि फूलों की घाटी को विशेष रूप से मानसून की आवश्यकता नहीं होती। मानसून न भी हो तब भी यहां लगभग रोज़ बरसात होती है। मानसून की झमाझम बरसात तो बस सोने पे सुहागा ही है। जून माह से फूल खिलना शुरू करते हैं और जुलाई आते आते घाटी अपने यौवन पर पहुंच जाती है। तो, फूलों की घाटी जाने के लिये सबसे अच्छा समय है मध्य जुलाई से मध्य सितंबर तक। इस दौरान कभी भी जाया सकता है। कम ही फूल होते हैं जो लगातार खिलते हैं। औसतन हर पंद्रह दिन में घाटी की रंगत बदल जाती है। किस माह में किस प्रजाति के फूल अधिक होते हैं, इसके लिये नीचे दिये गये चित्र देखिये। माहवार फूलों की खिलावट और साथ ही घाटी में उनकी लोकेशन का पूरा ब्यौरा नीचे चित्र-टेबल में दिया गया है। जितने भी समय तक घाटी खुली रहती है, मौसम सुहावना बना रहता है। गर्मी बिल्कुल नहीं होती और सर्दी भी अधिक नहीं होती।



फूलों की घाटी कैसे पहुँचें
फूलों की घाटी एक ट्रेक रूट है जहां पैदल ही जाया जा सकता है। इसकी निकटतम मानव आबादी घांघरिया है जो घाटी के लिये बेस कैंप के रूप में भी प्रसिद्ध है। घांघरिया तक भी न सङक पहुँचती है और ना ही रेल पहुँचती है। इसके लिये भी ट्रेकिंग मार्ग ही एकमात्र जरिया है। आपको पैदल ही जाना होगा या फिर घोङे – खच्चरों की मदद ले सकते हैं। घांघरिया का निकटतम सङक बिंदु गोविंद घाट / पुलना है जो पंद्रह / बारह किलोमीटर दूर है। वैसे घांघरिया में हेलीपैड भी है जिसके लिये गोविंद घाट से उङानें हैं। वर्ष 2016 में इसका एकतरफा किराया 3500 रूपये है। गौचर से भी घांघरिया के लिये हेलीकॉप्टर उङान है जिसका एकतरफा किराया 15000 रूपये है। निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश 290 किलोमीटर दूर है और निकटतम हवाई अड्डा जौली ग्रांट (देहरादून) 296 किलोमीटर दूर है। सङक मार्ग एन.एच. 58 जो इस इलाके को मैदानों से जोङता है बहुत दुर्गम तो नहीं है लेकिन इस पर बहुत से सक्रिय भू-स्खलन जोन हैं, जैसे – देवप्रयाग और बागवान कस्बे के बीच, सिरोबगङ, रूद्रप्रयाग से कुछ आगे, कालिया सौङ, चमोली में पीपलकोटि से आगे पाखी गांव के पास टंगणी, जोशीमठ से आगे लामबगङ आदि।
यात्रा प्लान
- रुट का चुनाव- उत्तराखंड के पहाङों के लिये ऋषिकेश प्रवेश द्वार के समान है। ऋषिकेश तक पहुंचना मुश्किल भी नहीं है। भारत के हर हिस्से से यह सङक, रेल और हवाई मार्ग द्वारा जुङा हुआ है। ऋषिकेश से चलने के बाद रात्रि-विश्राम के लिये जोशीमठ को लक्ष्य बनाया जा सकता है, जो एन.एच. 58 पर अंतिम बङी मानव आबादी है। जोशीमठ से 19 किलोमीटर आगे गोविंद घाट है जो फूलों की घाटी का निकटतम सङक बिंदु है।
- परिवहन का चुनाव- यदि अपने वाहन से जाना हो तो कोई भी दिक्कत पेश नहीं आने वाली। कोई भी दुपहिया अथवा चौपहिया वाहन लेकर जा सकते हैं, बशर्ते ठीक-ठाक कंडीशन में हो। कहीं भी चढाई की समस्या पेश नहीं आने वाली। सबसे उंचा प्वाइंट जोशीमठ भी 2000 मीटर की उंचाई के आसपास ही है। यदि सरकारी बसों से जाना हो दिल्ली से देहरादून की बस पकङ सकते हैं। इसकी दूरी है 250 किलोमीटर और वर्ष 2016 में इसके लिये किराया है 268 रूपये। देहरादून (पर्वतीय बस अड्डा) से जोशीमठ के लिये सीधी बस सेवा है जिसकी दूरी है 300 किलोमीटर और वर्ष 2016 में इसके लिये किराया है 461 रूपये। देहरादून से यह बस सवेरे पांच चलकर लगभग बारह घंटे में जोशीमठ पहुंचा देती है। इसके अलावा टैक्सी सेवायें तो भारतभर में उपलब्ध हैं और उत्तराखंड का यह इलाका इसके लिये कोई अपवाद नहीं है। ऋषिकेश से गोविंद घाट के बीच इनके किराये साढे चार हजार रूपये के आसपास शुरू होते हैं।
यात्रा प्लान के लिये सुझाव:
- पहला दिन : दिल्ली से ऋषिकेश (सङक मार्ग) – 241 किलोमीटर
- दूसरा दिन : ऋषिकेश से जोशीमठ (सङक मार्ग) – 254 किलोमीटर
- तीसरी दिन : जोशीमठ से गोविंदघाट (सङक मार्ग) और गोविंदघाट से घांघरिया (ट्रेक) – 19 किलोमीटर + 15 किलोमीटर
- चौथा दिन : घांघरिया से फूलों की घाटी और वापस घांघरिया (ट्रेक) – 4+4 किलोमीटर
- पांचवा दिन : घांघरिया से हेमकुंड और वापस घांघरिया (ट्रेक) – 6+6 किलोमीटर
- छठा दिन : घांघरिया से गोविंदघाट/ जोशीमठ (ट्रेक + सङक) – 15 किलोमीटर/ 19 किलोमीटर
- सातवां दिन : गोविंदघाट/ जोशीमठ से ऋषिकेश (सङक मार्ग) – 273/ 254 किलोमीटर
- आठवां दिन : ऋषिकेश से दिल्ली (सङक मार्ग) – 241 किलोमीटर
रात्रि-विश्राम
रात के ठहरने के लिये अधिक चिंता न करें। दिल्ली से चलकर जोशीमठ या गोविंदघाट तक रात में रुकने की कहीं कोई समस्या नहीं आने वाली। यहां तक कि ट्रेक पर भी बीच रास्ते में भ्यूंदर गांव में रूक सकते हैं। घांघरिया से आगे कहीं भी रात को रूकने की व्यवस्था नहीं है। फूलों की घाटी में तो अपना टैंट लगाकर रूकने की अनुमति भी नहीं है। ऋषिकेश, जोशीमठ, गोविंद घाट और घांघरिया में गुरूद्वारे भी हैं जिनमें रात को रूकने और खाने की निःशुल्क व्यवस्था है। आम स्वीकार्य होटलों के किराये 250 अथवा 300 रूपये से शुरू हो जाते हैं। मैंनें स्वयं जोशीमठ और घांघरिया में 400 रूपये किराये पर कमरा लिया था जबकि गोविंद घाट में गुरूद्वारे में रूका था।
महत्वपूर्ण संसाधनों की उपलब्धतायें
- ए.टी.एम अथवा करेंसी चेंज- यह सुविधा जोशीमठ से आगे नहीं है।
- पैट्रोल पंप- अंतिम पैट्रोल पंप भी जोशीमठ में ही है।
- अस्पताल- गोविंद घाट और घांघरिया में मेडिकल स्टोर हैं। नजदीकी ठीक ठाक अस्पताल जोशीमठ में ही है।
- मैकेनिक- जोशीमठ।
- फोन नेटवर्क- गोविंद घाट से आगे कोई भी मोबाईल फोन नेटवर्क काम नहीं करता है। गोविंद घाट में बी.एस.एन.एल, एयरटेल और आईडिया के नेटवर्क काम करते हैं। घांघरिया में केवल एस.टी.डी. या सैटेलाईट फोन सेवायें हैं जिनकी कॉल दर वर्ष 2016 में प्रति मिनट दस रूपये तक वसूली जाती है।
- प्रवेश शुल्क- फूलों की घाटी में प्रवेश से पहले 150 रूपये प्रति व्यक्ति शुल्क देना होता है। घाटी से तीन किलोमीटर पहले जंगल विभाग की चौकी है। इस चौकी पर ही प्रवेश शुल्क देना होता है। इस चौकी पर ही यात्रियों का पंजीकरण भी किया जाता है। इस चौकी की दूरी घांघरिया गुरूद्वारे से लगभग एक किलोमीटर है।



सभी सूचनाओं से लैस होने के बावजूद जरूरी नहीं है कि किसी यात्रा के दौरान आप सदैव अपने तय शेड्यूल से ही चलें। कई बार चीजें अपने हाथ में नहीं होती हैं। बहुत से अन्य कारक भी होते हैं जो आपके शेड्यूल को प्रभावित करते हैं। खासकर हिमालय में तो प्रकृति ही चीजों की निर्धारक होती है और भी कारक होते हैं जैसे आपकी सवारी, वो जो आपका सहयात्री है और यहां तक कि खुद आपका अपना शरीर औऱ सेहत। इन सारी चीजों में बेहतर तालमेल के बिना यात्राऐं अच्छी तरह कर पाना संभव नहीं है।
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जवाब देंहटाएंमेहनत से लिखी गयी पोस्ट। जाने वालों के बहुत काम भी आयेगी।
सो तो है जी।
हटाएंउत्सुकता बढ़ गयी है,आपकी उपयुक्त जानकारी से।
जवाब देंहटाएंTHANKS
जवाब देंहटाएंआप ने बहुत ही खूबसूरती से लिखा है मानो हम खुद भी आपके साथ घाटी में मौजूद हो
जवाब देंहटाएंस्पष्ट व अनुपम सूचना ।
जवाब देंहटाएंकोटि कोटि धन्यावाद, आपकी परिश्रम और आपकी लेखनी फ़ूलों की घाटी की यात्रा मे महत्वपूर्ण है।
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