चमोली जिले में तिब्बत-भारत सीमा से कुछ ही दूर स्थित है फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान, जो नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क के साथ मिल कर संयुक्त रूप से नंदा देवी बायोस्फीयर रिज़र्व का निर्माण करता है। भौगोलिक रूप से यह जगह वृहद हिमालय और जांस्कर श्रेणियों के मध्य स्थित है, हालांकि बहुतेरे लोग इसे जांस्कर का ही एक भाग मानते हैं। घाटी का कुल क्षेत्रफल करीब 87 वर्ग किलोमीटर है, हालांकि इसका 70 प्रतिशत भाग हिम से ढका रहता है। शेष क्षेत्र में 520 वनस्पतियों की पहचान अब तक की गई है, जिसमें से 500 से अधिक प्रजातियां फूलों की हैं।
आज मैं और मनीषा घांघरिया में हैं। कल जोशीमठ से यहां तक पहुंचे तो थकावट में चूर हो चुके हो थे, सो कुछ खा-पी नहीं सके। सवेरे जल्दी उठकर तैयार हुये, कमरा छोङा और सबसे पहले गर्मा-गर्म चाय के साथ लजीज़ आलू के परांठों के साथ उदर-सेवा की। तत्पश्चात फूलों की घाटी की ओर बढ गये। घांघरिया से घाटी के ट्रेक का प्रवेश-द्वार करीब एक किलोमीटर दूर है। यह रास्ता हल्की चढाई वाला है, या यूं कहें कि शुरूआत में शरीर के उर्जा से परिपूर्ण होने के कारण चढाई महसूस नहीं होती। प्रवेश-द्वार पर ही यात्रियों के रजिस्ट्रेशन किये जाते हैं और प्रवेश शुल्क वसूला जाता है। इस प्रवेश-द्वार से घाटी की दूरी है तीन किलोमीटर। रास्ता पूरी तरह से जंगली है। पत्थरों को आपस में सेट करके पगडंडी बनाई गई है। प्रवेश-द्वार से पुष्पावती नदी के पुल तक आधा किलोमीटर का रास्ता या तो हल्की चढाई वाला है या कहीं-कहीं उतराई वाला है। पुल से आगे घाटी तक लगातार चढाई वाला है। यह चढाई भी अच्छी-खासी है पर पहले दिन घांघरिया तक पहुंचने में लगी मेहनत के कारण शरीर अनुकूल हो जाता है और यहां बहुत अधिक परेशानी पेश नहीं आती। प्रत्येक पचास मीटर पर पगडंडी के पत्थरों पर चिह्न भी बने हुये हैं। हमने सात बजे शुरूआत की थी और आराम से चलते हुये दस बजे तक घाटी में पहुंच चुके थे। ट्रेक की शुरूआत ही से फूलों की दुनिया आरंभ हो जाती है। अलग अलग किस्म के बेइंतहा फूल वातावरण में सुंगध घोलते रहते हैं।
और जब आप एक बार फूलों की घाटी में प्रवेश कर जाते हैं तो स्वयं को एक अलग ही दुनिया में पाते हैं या यूं कहिये कि स्वयं को खो ही देते हैं। इस जगह की अलौकिक खूबसूरती के वर्णन हेतू मेरे पास शब्द नहीं हैं। आप भौंचक्के रह जाते हैं। कहां-कहां नज़रें घुमायेंगें आप यहां आकर। केवल फूल-पत्तियों की मादक महक ही से यह जगह स्वर्ग नहीं बन गई है। बहुत से दूसरे कारक भी हैं। आपकी निगाहें तरसती रहेंगीं कि किस किस ओर का नजारा करें। एक दृश्य देखेंगें तो दूसरा आंखों से ओझल हो जायेगा। जिधर भी नज़र उठायेंगें, एक के बाद एक दूधिया झरनों की भरमार पायेंगें। कोई आसमान की उंचाई से गिरता दिखाई देता है तो कोई हरे पहाङों की गोद से फिसलता नजर आता है। असंख्य फूलों से भरी घाटी के बीच से पुष्पावती नदी बहती है, एकदम दूध के रंग के पानी को लेकर। इसी समय आपके ठीक सामने होता है – टिपरा ग्लेशियर, जो पुष्पावती का जनक है। आसमान का साफ नीला रंग आपके पैरों के नीचे की जमीन के रंग से ठीक उलट होता है। दिल कहेगा कि कहीं अंतस में जज़्ब कर लूं इन नजारों को, कि जाने दुबारा कभी आना हो ना हो। पर मनुष्य को ऐसी दिव्य दृष्टि मिली ही नहीं कि ऐसी स्वर्गातीत जगहों को एक बार में आंखों में भर ले। वाकई ये जगह इंसानों के वास्ते नहीं है। पुराणों में इसे ठीक ही संजीवनी बूटी का वास और देवताओं का उपवन कहा गया है। वैसे भी रामायण के अनुसार हनुमान जी ने संजीवनी बूटी क्षेत्र की खोज द्रोणगिरी क्षेत्र में ही की थी। द्रोणगिरी यहां से अधिक दूर नहीं है। इस बारे में और अधिक चर्चा “नीती यात्रा वृतांत” में करेंगें। अभी यहां एक रोचक बात आपको बताता हूं। फूलों की घाटी हर प्रंद्रह दिन में अपना रंग और खूशबू बदलती है। पूरे हिमालय में ऐसा शायद ही कहीं और होता हो। इसकी वजह यहां खिलने वाले फूल ही हैं। ये इतनी ज्यादा मात्रा में खिलते हैं कि घाटी का धरातल तो छोङिये, काफी उंचाई तक पहाङ को भी अपने कब्जे में ले लेते हैं। लगभग हर प्रंद्रह दिन में मौसम में जरा से बदलाव से अलग-अलग रंगों और खूशबूओं के फूलों की प्रजातियां खिलती और मुरझाती हैं। परिणाम – हर प्रंद्रह दिन में एक नई रौनक, एक अलग खूबसूरती, एक नई खूशबू।
फूलों की घाटी के अल्पाइन घास के बुग्याल बहुमूल्य औषधीय और सुगंधित पौधों के भंडार हैं। गढवाल हिमालय में ऐसी बहुत सी घाटियां और बुग्याल हैं जो भौगोलिक परिस्थितयों, ऊंचाई और पुष्पी-पौधों के लिहाज़ से फूलों की घाटी के समान ही हैं, जैसे - खिरों घाटी, चिनाप घाटी, हर की दून, दयारा, राज-ख़रक आदि, लेकिन जो वानस्पतिक विविधता फूलों की घाटी ने पाई है उसका कोई जोङ नहीं है। घनत्व के गणित से पौधों की जितनी लुप्तप्रायः प्रजातियां यहां पाई जाती हैं, उतनी पूरे भारतीय हिमालय में कहीं भी नहीं है। यहां तक कि बहुत सी लुप्तप्रायः औषधीय प्रजातियों का घनत्व पिन वैली, किब्बर वन्यजीव अभ्यारण्य, कराकोरम वन्यजीव अभ्यारण्य, केदारनाथ वन्यजीव अभ्यारण्य आदि से भी कहीं अधिक है यहां। जबकि क्षेत्रफल के हिसाब से फूलों की घाटी उपरोक्त विशाल क्षेत्रों के सामने कहीं नहीं ठहरती। यह घाटी मात्र 12 किलोमीटर लंबी और 3 किलोमीटर से भी कम चौङी है। इतने कम क्षेत्र में इतनी अधिक वानस्पतिक विविधता का होना वाकई अचंभित करने वाला है।
फूलों की घाटी से कुछ बेहद रोमांचक ट्रेक भी निकलते हैं जो अपने गंतव्यों पर पहुंचने से पहले दसियों ग्लेशियरों के दर्शन कराते हैं। हालांकि ये कठिन हैं और इन सभी के लिये स्थानीय प्रशासन से पूर्वानुमति लेनी होती है। एक ट्रेक फूलों की घाटी से कुंटखाल और पलसी उडियार होते हुये बद्रीनाथ रोङ पर स्थित हनुमान चट्टी पहुंचता है। एक अन्य ट्रेक है जो फूलों की घाटी से टिपरा खरक (ग्लेशियर) व भ्यूदंर खाल दर्रे को लांघ कर काक-भूसंडी ताल पहुंचता है। एक और जबरदस्त ट्रेक है जो सौ किलोमीटर लंबा है। यह फूलों की घाटी से शुरू होकर पहले टिपरा खरक पार करता है, फिर 5100 मीटर उंचा भ्यूदंर खाल और फिर आगे जाकर 5800 मीटर उंचा गुप्त खाल दर्रा लांघता है। गुप्त खाल से कुछ चलकर यह दो-फाङ हो जाता है जब दाईं ओर कामेत पर्वत और बाईं ओर नकथानी स्नोफील्डस, मूसापानी होते हुये माणा गांव पहुंचता है। अंग्रेज़ पर्वतारोही फ्रैंक स्मिथ 1931 में कामेत पर्वत के अभियान से लौटते समय भटक कर संभवतः इसी मार्ग के द्वारा फूलों की घाटी में पहुंचा था और इसकी अकल्पनीय सुंदरता देखकर दंग रह गया था। इस अंग्रेज़ पर्वतारोही के बारे में कहा जाता है कि उसी ने भारतवर्ष के इस नायाब नग़ीने की खोज1931 में की थी। परंतु मेरी नज़र में इस विचारधारा में खोट है। भारत के हिमालयी चरवाहों ने एक से एक बढकर उंचाईयां नापी हुई हैं तो वनस्पति से भरपूर इस इलाके में वे ना पहुंचें हो, ऐसा कैसे संभंव है। इस जगह की तो अधिकतम उंचाई भी 3500 मीटर के आसपास ही है। फिर लखनऊ स्थित “बीरबल साहनी पादप जीवाश्म शोध संस्थान” के शोधार्थियों के पास वर्ष 1300 से पहले का भी अनुमानित डाटा है। ऐसे में किसी दूसरे को श्रेय दिया जाना कहीं न कहीं खटकता है।
दोपहर बाद हम फूलों की घाटी से निकल लिये, चूंकि समयाभाव था इसलिये हेमकुंड साहिब की यात्रा भी टालनी पङी, वरना घांघरिया से हेमकुंड की दूरी मात्र छह किलोमीटर है। यदि पैदल आना-जाना करें तो पूरा दिन लग जाता है क्योंकि हेमकुंड की चढाई तीखी है। हालांकि उधर खच्चरों पर बैठकर जाने का विकल्प भी है। फूलों की घाटी की ओर खच्चर-सेवा तो नहीं है पर पोर्टर लोग अपनी पीठ पर टोकरा लटका कर लोगों को बैठा ले जाते हैं ठीक उसी तरह जैसे हिमालय के चाय बागानों में पीठ पर टोकरी लटका कर चाय की पत्तियां तोङी जाती हैं। हमें भी एक-दो पोर्टर ऐसे ही महाराष्ट्रीयन लोगों को ढोकर ले जाते दिखे। भई, सच में पसीने छूट गये उन्हें देखकर! इतनी जबरदस्त मेहनत! मेरी समझ में नहीं आता कि अगर लोगों में अपनी देह को ढोने का भी दम नहीं है तो वे हिमालय में आते ही क्यों हैं? और अगर हिमालय में आते ही हैं तो इतनी उंचाईयों पर क्यों आते हैं? क्या इस तरह लोगों की कमर तोङने?
जब हम घांघरिया पहुंचे तो दो बज गये थे। डेढ घंटे में नीचे उतर आये। घांघरिया गुरूद्वारे में मत्था टेका, लंगर छका और अपने होटल की ओर निकल गये जहां हम रात में ठहरे थे। कमरा तो सवेरे ही खाली कर गये थे पर रेनकोट को छोङकर बाकि सामान होटल वाले को ही सौंप गये थे। यहां से अपने सामान लिया और फौरन गोविंदघाट की ओर प्रस्थान कर दिया। पौने तीन बजे चलकर सात बजे तक पुलना पहुंचने का लक्ष्य रखा। पुलना से दो किलोमीटर पहले ही बारिश शुरू हो गई तो रेनकोट निकालने पङे। पौने सात बजे हम पुलना में थे। यहां से जीप पकङी और बीस मिनट में गोविंदघाट जा उतरे। यहां भी गुरूद्वारे में लंगर छका। गुरूद्वारे में ही निःशुल्क रात्रि निवास की बहुत बढिया सुविधा है। होटलों की तरह अटैच पाखाना और गुसलखाना। जबकि साफ सफाई में होटलों से भी अव्वल। गोविंदघाट गुरूद्वारे में ठहरने की लक्ज़री सुविधायें भी हैं जिनका किराया पांच-सात सौ रूपये से शुरू होता है। ठीक इसी तरह की लक्ज़री सुविधा के लिये आपको किसी होटल में कम से कम दो हजार रूपये चुकाने पङ सकते हैं।
![Ghangria Ghangria View](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhK1PTQ-4wNPpdeVTNxXUqmS5CiA_rphG8sp2DT5F09UuaDofGjWt6scFovp7POi6upXcbkPSC54xqbwNoquCEf0butEXrnMEGQi1bbuAuEENRMLwbxmReQd27qod_fP1PrxVTcVDCMUSjI/s640/Ghangria.jpg) |
फूलों की घाटी प्रवेश द्वार से दिखाई देता घांघरिया |
![Laxman Ganga Laxman Ganga Bridge](https://3.bp.blogspot.com/-0ujvinJ1YC8/V_kC4n0hMxI/AAAAAAAADHg/zeSjAyVOgm0_lsU5QA0hP4zBcugrXLs4ACPcB/s640/Laxman-Ganga-Crossing.jpg) |
हेमकुंड से आती लक्ष्मण-गंगा नदी पार करते हुये। |
![Valley of Flowers Trek Valley of Flowers Trail](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj6VbZbkjal0agia62kEA9rv8rQ1qfOuDGgSguNIKfld1uKL19yBNDIVn4fiTDCp_jQgrIvZaVyq5u_uR3in0aoFWIAJzEaHBnsEU8_UlcYlvXlCwBTc1SnZF9KjTbAY35EoTNjYRfzy0fN/s640/Valley-of-Flowers-Trek-Jungle.jpg) |
फूलों की घाटी ट्रेक। रास्ता पूरी तरह जंगली है। |
![Roaring Out Pushpawati River Pushpawati River in Backdrop](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgezv4076_HR0NCREVdbqi7Zy5a2EQTCSB30a_amf1GmsX8EmIIOxFYKUnX7VtBV-4aM5u8oK4HFsAcThQRSG64ag94X57dnwcQPAIXRv-6MzKM1g4OeiLTYxLU-T59-3hrHvDLRgjGv263/s640/Pushpawati-River.jpg) |
मनीषा के ठीक पीछे फूलों की घाटी की घाटी से निकलकर आती पुष्पावती नदी। |
![Valley of Flowers Trekking Route Valley of Flowers Trek](https://3.bp.blogspot.com/-wuBwGTHQOMI/V_kDNQzGDQI/AAAAAAAADHg/rT3T4yT-3H0lGJBzDTHvRimWo8pZyt6cgCPcB/s640/Valley-of-Flowers-Tough-Trek.jpg) |
फूलों की घाटी ट्रेक की चढाई। |
![VOF Trek VOF Trail](https://1.bp.blogspot.com/-xrTs-D8bsqw/V_kDNYPgE4I/AAAAAAAADGk/m7xiDxWevXkJy9dfq0nadA8FGIzPT8lhwCPcB/s640/Valley-of-Flowers-Trek.jpg) |
फूलों की घाटी की घेराबंदी करने वाले पहाङ के प्रथम दर्शन। |
![Valley of Flowers Trekking Valley of Flowers Trail](https://2.bp.blogspot.com/-A8fRl048Zgg/V_kDNR1cqTI/AAAAAAAADGk/fGeh7B8JowocWhNW9wjlnA1lUiHLfhgxgCPcB/s640/Valley-of-Flowers-Trek-Forest.jpg) |
ट्रेक से दिखाई देती घाटी की दक्षिणतम सीमा। |
![Entrance into Valley of Flowers Entrance into the Valley of Flowers](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhBI6o7EKGB2wLVUB4nUPOjPXuxon1b9yRGOhwKbIwCCjy8BOTn9SRemHDIag4URiy7INp6FOq1_BdodeyUti0mV9MlickIHVgt_qgaVZe6QWvYw8zNvX9oVny0rQA4NS40wWaA4_5TcBU6/s640/Valley-of-Flowers-First-View.jpg) |
फूलों की घाटी में प्रवेश। |
![First View of Valley of Flowers View of Valley of Flowers](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjJ2R9t5ajEQRB20pNPp76HaAbm2flYmt20Tlx1tgIXemgfuzQhWlXJCcYaOmpUHy2kZo-EFpGMlUFxBiSsE6hHphXNsHYy9ADhghe3xeQkigyfvxarFEubLUX3spooxCfNaaYObjXgJ3Hr/s640/Valley-of-Flowers-Entrance.jpg) |
फूलों की घाटी के प्रथम दर्शन। |
![Snow-capped mountains in Valley of Flowers Valley of Flowers Snow-capped mountains](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiQRpSXcsCfc79FokO8prrfbmF51kFSld2NPOyEeSBaRv79z2d8VIaO9UTsewwYI1T77RX_UONG7m6w7xsU_8VD-JgJKCacBhRGkFllcrJYnHDHwg6p281OggRKDG8SpeD4S-ZPA72WTCrS/s640/Valley-of-Flowers-Snowcapped-Peaks.jpg) |
घाटी के दक्षिण-पश्चिम सीमा वाले हिमाच्छादित पहाङ। |
![Tipra Kharak Bhojpatra Trees](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj-1LATNp9PiRT0Zexx_wEBxTlK287u05Aduaxo1L9vFni8zkaG8o0RMl6M6FulhZnwnFEFIX2ksOkUp335U8zGVbbCGMZfkYD9YbUnwTgwSOoUbyug7bG2HIel9sUwRHm0RKXo3BpEgYiQ/s640/Valley-of-Flowers-Glacier.jpg) |
भोजपत्र के पेङ की उपरी फुंगियां। पृष्ठभूमि में टिपरा बामक का अंश। |
![VOF Flowers Flowers in VOF](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgf9DxxrMe54_OHAcwbCJd_wksbKhaBU6mRA6Hc3cHDsWttLKHxqn5lM9zdn6b_q9GK0qaGEgdIjWlq5AsFn1aNTCl7FZbSBV9DJ1EK1t_NlFLfFKkcbJgpS0fNSmY77w77wQjXpXo2h1NC/s640/Flowers.jpg) |
घाटी में द्वारी पुल के पास। |
![Valley of Flowers Valley of Flowers, Uttarakhand](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiZG_ChTmwf6HjSbI8CwWXqvGTczAQIa6uJZ3rjw43c5wH6Ubfi6UhU5sc9ye_u_Lf8szS8x3abtZqK4BQl0qEhiIlnAxV60nn7zgV7TRBXdN5v1duCLq4JOOojtSyqLkRZK0NI9L9RsZvH/s640/Valley-of-Flowers-1.jpg) |
फूलों की घाटी। ठीक बीच में पुष्पावती नदी। |
![Trail with Flowers Trail Route with Flowers](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEivcUalhWERtLoOgnDeRuusXdRlFxT4kvzLpEZPfTG5kBzS8vbS6VDteXM7T-ZeDJi0myzBL-fYI_RQEkpgItITMP7knxNvTgIsKi7wc0oDbvzSpzVYDGx60vrJAdCLDFllZMhaoemORrI_/s640/Valley-of-Flowers-Trail.jpg) |
फूलों ने पगडंडियां तक ढक ली हैं। |
![Mountains at Valley of Flowers Valley of Flowers Mountains](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiw89OWg-Z-XnbD3yfoMmip6BI5UDqPVKkNpANxcgJNKwsx3YMmDGNIljkMZVzyrGd2ih-TiqjhV10xWxk9B58efTCepWaIJA2aPCxKbfSFGSFPpSr2RN6ltUH1olDZ8sD13DPPfOG1uahyphenhyphen/s640/Valley-of-Flowers-2.jpg) |
बादलों वाला पहाङ दिख रहा है? बायें उन पहाङों के उस तरफ हेमकुंड है। |
![Flowers Bed Bed of Flowers](https://1.bp.blogspot.com/-h4WlYvbpKoY/V_kC4q5iRrI/AAAAAAAADGk/L3I6KWbIO5svB4yR_Ptrje72BYSLa8gyQCPcB/s640/Flowers-Bed.jpg) |
फूल ही फूल। |
![Tipra Glacier Tipra Bamak](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhMRWYxgDS1K44dOxwrAKqofS2K65MaxJqQ3OEkKepP3184Hz4q00p4dDPWogkfYRw0UHb39j2sVEdKslbdESPMpecU0xVbApHclJVIEZE5t6ME9ALUXvsJ_HbLWAsg7-2aBYkKV9KJrrWv/s640/Tipra_Glacier.jpg) |
टिपरा ग्लेशियर। और दूध की धार की मानिंद निकलती पुष्पावती नदी। |
![Bhojpatra Trees Trees of Bhojpatra](https://1.bp.blogspot.com/-WUboftyD-X4/V_kC4pCQR5I/AAAAAAAADGk/puEfxdSrrXghBlE1nxTwW8pjSSTV-FXUACPcB/s640/Bhojpatra.jpg) |
भोजपत्र के पेङ। इन्हीं वृक्षों की छाल पर भारत के मुनियों ने वेद रचना की। |
![Bhojpatra Cortex Cortex of Bhojpatra](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgyIlQAefh6oNyoLbTLvsmtlr-Ken2-vbDVoDrSli-iUbfr8lMtsXFQL46xPYqQNy2oHevLTZNhBjvwO9yBYVLrPRFp5jmVk4rMxNaSQ-iG9UhDAroGLjPW3XIv2DBlv9fQ7B7S-DalOovs/s640/Bhojpatar.jpg) |
भोजपत्र वृक्ष क्लोज़-अप। सफेद छाल चांदी जैसी चमकती है और कागज जैसी मुलायम होती है। |
![Flower Bunch Bunch Flower](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj4omLnLjTC8lNQ9PYiVwr9jqpD-RQsVfqbGIyMXKmfhdqj75VZY3kgbF02mO1B9rIBHhqqZNf2TWP6MCBCjl40RXfYW5uf7MNbJm_f3B9lMihELweOMBAnt7fxK5hy80qtVkG8NNzIB5eI/s640/Bunch-Flowers.jpg) |
गोभी-फूल नहीं है जी, कोई और फूल है। और हां सिंगल है, फूलों का गुच्छा नहीं। |
![Valley of Flowers Bed Bed of Valley of Flowers](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjQpd5ek9vQcJEFgFVCw1HDJSlYIh5ER9y8wRuw-cqRW86T478Bbv57QkvoNBpRV25AHFjXtPHpAyzYcVLzei-DAn74imdQHR9dWuC1EVYm6Hd3ybESaxsy5zW9pC6lEW6Zka1QsbnS6awC/s640/Valley-Bed.jpg) |
फूलों की घाटी |
![Flowers Bed Flowers Bed](https://1.bp.blogspot.com/-PyPcTREkrXI/V_kDNao-b-I/AAAAAAAADGk/zoVE9HVHVNMfZqgpSp5-t5qxaD_3EvWigCPcB/s640/Valley-of-Flowers-Bed.jpg) |
पुष्प ही पुष्प। |
![Priyadarshini Rivulet Priyadarshini Rivulet](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiUVDMd242vzjhh1eS4XwTlYF8lfsTjWlBSalb_wFNC9Rgvd_AhrOR5SWB1G8BUOOdNEB7dvutddFSPP1jiyByvE1g5_ndCA40esYV6qIL7bwIe_zMGCmIgBXqWZ0ZSi66rkZHGYpfOKXa6/s640/Wooden-Bridge_Priyadarshini-Rivulet.jpg) |
प्रियदर्शिनी नाले पर डाली गई बल्लियां। |
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgwbkrTyXSP0OLvR_3NQ6AUwFB3_VCQDoN8cRLTp1hfk8lsECD-cxzqZmfKhEKsgCcFMm5Qxql0_283n-UffEXgZX5ADrKYI4Gj5Si4TmJJs1BjgnkUJUTvwjyhqEgyDTVv8nxJlX2v2hQs/s640/Reflecting-Purple-Flowers.jpg) |
रिफ्लेक्शन नहीं है ये। दो फूल हैं। |
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgSvCcwKMIsX5EvCJfjsNPy60dI-zlI84f6RHzoXMiobz2Nz-GKYB3nV2v6pLwJeRKRIxjnkOFRt71xGne4YeC6ryvzGKZzoTmS3EX8fAZLi_3tPagODawmBG9FwX8S9ExCyTwEt93v3a37/s640/Valley-of-Flowers-Bed-1.jpg) |
फूलों की घाटी और पृष्ठभूमि में एक साथ दिखाई देते तीन वॉटर-फॉल। |
![Priyadarshini Rivulet Priyadarshini Rivulet](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjWN_aCgGrZATgw_DrVQnQ-Lh9lDkn5FccQZ29gGGtVFPATscngS6ec5bWdXC9KPpxv8DBoCnLahBjqYyjWFr8dANPsQrnx4MBCqLFqbP2NIfYWVSffHaCXgNB33vWPiDq2qQ6P_Gj1Wjoq/s640/priyadarshini_rivulet.jpg) |
प्रियदर्शिनी नाला |
![](https://4.bp.blogspot.com/-bAvOkRJkcDw/V_kDNUIb_FI/AAAAAAAADGk/6ZPgen8RAbodL87qsgnJ4EzGriLdANvjwCPcB/s640/Valley-of-Flowers-Waterfalls.jpg) |
नीचे भोजपत्र के पेङ और उपर झरने। |
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjXu6QweDz5Ni0p6nMYxQNy2z3rJbncP9uGrDr5qYTOdAf2ZNRp3vY9VGmiF65cF4F_ozr8-59ZGPA4V4XRlKj8DQS-LNQCYbmAgT3YHrFkD_GUq2xYFxpvlwqof1pUEv_nYH0kLyWG_PXS/s640/Valley-of-Flowers-Bed-3.jpg) |
फूलों की घाटी में घुमङ आये बादल। |
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhZ7ZZjnQsG5nQoYySOPc-NXo4PI5JQBWqJuPDear1qPPg4RGUj5khwqdO1h7bKAjux2q5ww5pXW71DQ6HISA2-PnJCpylEkb-XMmaIDHjea-fvno-GbEYeBbvrQvtc_goj_mOvaKL5JSUb/s640/Valley-of-Flowers-3.jpg) |
फूल ही फूल। |
![Valley of Flowers Waterfall Waterfall at Valley of Flowers](https://3.bp.blogspot.com/-9guEHOpwLYs/V_kDNemJf0I/AAAAAAAADGk/rziWd2IqXq4shbcycRz5A2JjImH_kf9GQCPcB/s640/Valley-of-Flowers-Waterfall-1.jpg) |
झरने के रूप में फूलों की घाटी में उतरता प्रियदर्शिनी नाला। पृष्ठभूमि में पुष्पी पौधे पहाङ के उपर तक चढने को आमादा हैं। |
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj6bnrks-MPhVJ62r6Jr5scjtyjIVIeJK5u36BJ4G97Sjih-Jwh_GK0bG-kyfhN8nOBi-A939Xp811nV0vXKafvWbaJz8M6WVFJIWbmY4opiWQITczJgHKR8L5_QngMLtYKE-Wh2sLq_Xze/s640/Valley-of-Flowers-4.jpg) |
फूलों की घाटी में बादल गहराने लगे हैं। |
![Wild Rose Buds Buds of Wild Rose](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg7SPxaL4GhsmBS9CacHpUoGVHxJZ_40rPfAEbyDhn1tZIj85jiIy0BAxw-gWpiPxCfFfnU9ft1Al0VS3-3yLDFbJn9qBR6yrZ0NOIIierL1gNyFsTGpIPBLxSZ1L-MNLL-h-iP3yUyjHNj/s640/Wild-Rose-Buds.jpg) |
ये लाल बेरियां नहीं है बल्कि जंगली गुलाब के अंकुर हैं। |
![Morning Glory Morning Glory Flower](https://3.bp.blogspot.com/-G6b1plQM9sE/V_kC4nx4VmI/AAAAAAAADGk/bsnisGdk6cc8rt_kF55nXLcKcqOv3Kn9ACPcB/s640/Flower-Morning-Glory.jpg) |
ये शायद मॉर्निंग ग्लोरी है। |
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjkd8YzKzsFWkSVJ3wVQoioREaOgpMn8x9Yd0ba2q49qAY1sA42lXWrvkJ8o6x6yHYv5T8at6no48OZucMKBv34MMr73o6bQcIeqC4Fy0PVWt1OozLghvk5O7AqwynUpxFKocHq48TwzkaB/s640/Flowers_Morning_Glory.jpg) |
और ये मॉर्निंग ग्लोरी पुष्प की झाङी। |
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjo__iyFx1s_4qjENoHjTxM5ycRfYGqFrGw5asWify5HHWChSPkoRovHZLqC0_m7r5zx8fosKqsm3sG1bluzteTvJ0LvtMTfu6RE-rycEQXZRxuIpco6BAHgqNRUVGOxyTWwxq7ARKePWvp/s640/Valley-of-Flowers-Trail-2.jpg) |
और अब फूलों की घाटी से वापसी। |
![](https://3.bp.blogspot.com/-rJ8Jz32B_Pc/V_kDNUCj2XI/AAAAAAAADGk/kRLczg-Mtp8ZpQfM2tzjXwGDUO8b9HPSwCPcB/s640/Wooden-Dragon.jpg) |
पहचानिये इस आकृति को? वैसे तो ये टुटा हुआ पेङ है। |
bahut hi badhiya , maja aa gaya
जवाब देंहटाएंशानदार.....
जवाब देंहटाएंखुबसूरत लेकन, लाजवाव फोटो, और सुपर जानकारी...शुभकामनायें
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