बेनज़ीर कुदरती खूबसूरती, दुर्लभ हो चुकीं उच्च पर्वतीय वनस्पतियों व जीवों का ठिकाना और सरकारी उपेक्षा का शिकार एक ऐसा स्वर्ग जिसकी मिसाल पूरे हिमालय में और कहीं भी नहीं है। जी हां मित्रों, ये आगाज़ है मेरी फूलों की घाटी की यात्रा का। और मुझे पूरा यकीन है कि यह यात्रा-वृतांत आपको एक अलग ही दुनिया से रू-ब-रू करायेगा। वर्ष 2004 में फूलों की घाटी को युनेस्को की विश्व विरासत सूची में सम्मिलित करने हेतू नामांकित किया गया था और एक वर्ष बाद यानि वर्ष 2005 में इसे युनेस्को द्वारा विश्व विरासत स्थल घोषित कर दिया गया। अब यह घाटी भारत में मौजूद कुल 35 विश्व विरासत धरोहरों में से एक है। तो चलिये चले चलते हैं देवभूमि उत्तराखंड में स्थित फूलों की घाटी की यात्रा पर, कुछ कदम मेरे साथ…
फूलों की घाटी कहां है
उत्तराखंड के चमोली जिले में तिब्बत-भारत सीमा से कुछ ही दूर स्थित है फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान, जो नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क के साथ मिल कर संयुक्त रूप से नंदा देवी बायोस्फीयर रिज़र्व का निर्माण करता है। भौगोलिक रूप से यह जगह वृहद हिमालय और जांस्कर श्रेणियों के मध्य स्थित है, हालांकि बहुतेरे लोग इसे जांस्कर का ही एक भाग मानते हैं। घाटी का कुल क्षेत्रफल करीब 87 वर्ग किलोमीटर है, हालांकि इसका 70 प्रतिशत भाग हिम से ढका रहता है। शेष क्षेत्र में 520 वनस्पतियों की पहचान अब तक की गई है, जिसमें से 500 से अधिक प्रजातियां फूलों की हैं।
फूलों की घाटी कब जायें
प्रति वर्ष नवंबर/दिसंबर से घाटी में बर्फ का गिरना आरंभ हो जाता है। फिर सर्दियों-भर की बर्फबारी के बाद घाटी को मई के आसपास ही खोला जाता है। फूलों की घाटी में प्रायः बारिश होती रहती है। जून माह से फूल खिलना शुरू करते हैं और जुलाई आते आते घाटी अपने यौवन पर पहुंच जाती है। तो, फूलों की घाटी जाने के लिये सबसे अच्छा समय है- मध्य जुलाई से मध्य सितंबर तक। इस दौरान कभी भी जाया सकता है।
फूलों की घाटी कैसे पहुँचें
फूलों की घाटी एक ट्रेक रूट है। इसकी निकटतम मानव आबादी घांघरिया है जो घाटी के लिये बेस कैंप के रूप में भी प्रसिद्ध है। घांघरिया का निकटतम सङक बिंदु गोविंद घाट / पुलना है जो पंद्रह / बारह किलोमीटर दूर है। वैसे घांघरिया में हेलीपैड भी है। फूलों की घाटी का निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश 290 किलोमीटर दूर है और निकटतम हवाई अड्डा जौली ग्रांट (देहरादून) 296 किलोमीटर दूर है। जोशीमठ सबसे नज़दीकी बडी मानव आबादी है जो गोविंद घाट से 19 किलोमीटर पहले है।
फूलों की घाटी - यात्रा प्लान व रुट
दिल्ली से चलकर हरिद्वार, ऋषिकेश होते हुये जोशीमठ या गोविंदघाट तक रात में रुकने की कोई समस्या नहीं आती। यहां तक कि ट्रेक पर भी बीच रास्ते में भ्यूंदर गांव में रूक सकते हैं। ऋषिकेश, जोशीमठ, गोविंद घाट और घांघरिया में गुरूद्वारे भी हैं जिनमें रात को रूकने और खाने की निःशुल्क व्यवस्था है। आम स्वीकार्य होटलों के किराये 250 अथवा 300 रूपये से शुरू हो जाते हैं।
फूलों की घाटी यात्रा-वृतांत | ||
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भाग-1
दिल्ली से जोशीमठ |
भाग-2
जोशीमठ से घांघरिया |
भाग-3
फूलों की घाटी |
भाग-4
गोविंद घाट से दिल्ली |
भाग-5
यात्रा टिप्स |
भाग-6
मुश्किलात |
फूलों की घाटी भारत में बहुत सी जगह है लेकिन इस वाली को जो प्रसिद्धि मिली है वो किसी और को नहीं मिल पायी, यहाँ की बात ही निराली है।
जवाब देंहटाएंबिल्कुल संदीप जी, यहां की बात ही कुछ और है।
हटाएंआपके लेख ने मेरा दिल जीत लिया। क्या आप मेरे लेख भी देखेंगे देवभूमि उत्तराखंड
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