खीरगंगा ट्रेक, कुल्लू, हिमाचल प्रदेश

2016 में पहली जनवरी से ही घुमक्कङी का आगाज़ कर डाला, जब औली-गोरसों बुग्याल जाना हुआ। फिर अगले ही महीने पंजाब का किला रायपुर स्पोर्टस फेस्टिवल देखा। मार्च में हरिद्वार, ऋषिकेश और मुनि की रेती घुम कर आया। मई के पहले ही दिन निकला तो नारकंडा के लिये था, मगर जा पहुँचा - खीरगंगा। तो जी औली-गोरसों की तरह खीरगंगा भी एक ग्रुप को ही लेकर जाना हुआ। हुआ यूँ कि अपने दो-तीन दोस्त कहीं घुमने जाना चाहते थे। मैं अक्सर कहीं न कहीं के लिये निकलता रहता ही हूँ सो उन्होंने मुझसे संपर्क कर लिया। फरमाईश आई कि किसी ठंडी, नज़दीकी और सस्ती जगह ले चलो जहां भीङ-भाङ भी ना हो। अब दिल्ली के आस-पास की ऐसी कुछ जगहों के विकल्प मैंने उन्हें दे दिये। भाई लोगों को नारकंडा जँच गया। कार अपने पास है ही, खाने-पीने और रात को रूकने के खर्चे के अनुमान लगा कर मैंने चट से एस्टीमेट भेज दिया। पट से उधर से कन्फर्मेशन आ गई। पहली मई की शाम को निकलना तय हो गया। तय दिन को अपने तीनों दोस्तों के ग्रुप को पिक किया और निकल पङे नेशनल हाईवे नंबर एक की ओर। करनाल से निकले ही थे कि एक बंधु कहने लगे कि नारकंडा तो देखा-सुना है, कहीं और ले चलो। मैंने कहा कि भाई ठहरी तो नारकंडा की थी, अब अचानक क्या हुआ? फिर अब रात-रात में कहां का प्रोग्राम बनायें? बोला कि कहीं का भी, पर नारकंडा नहीं। धीरे-धीरे उस्ताद ने बाकियों की वोट भी अपनी ओर कर ली। तो अपन ने कहा कि सीट को पीछे कर के लेट जाओ और सो जाओ आराम से। अब सुबह ही पता चलेगा कि कहां पहुँचेंगें। यारों को आराम से सुलाकर अपने दिमाग के घोङे दौङाने शुरू कर दिये। दो दिन का सीमित समय था, उसके बाद सभी को अपने कामों पर लौटना था। गाङी सङक पर चलती रही और दिमाग आसमान में उङता रहा। बीसियों जगहों के बारे में सोच डाला पर कहीं का फाईनल नहीं हुआ। सोचते सोचते जीरकपुर जा पहुँचे, पर कहीं भी पहुँचना फाईनल नहीं हुआ। फिर सोचा चंडीगढ पहुँचते हैं फिर देखते हैं। सिटी ब्यूटीफुल में इण्ट्री हुई भी नहीं थी कि अचानक दिमाग़ में आया - खीरगंगा। और दो मिनट भी नहीं लगे इस पर मोहर मारने में।

About - खीरगंगा के बारे में कहा जाता है कि कभी यहां भगवान शिव की कृपा से खीर निकलती थी। लेकिन जब परशुराम जी ने देखा कि लोग इस खीर को खाने के लालच में बावले हुये जा रहे हैं तो उन्होंने श्राप दे दिया कि अब यहां से कोई खीर नहीं निकलेगी। और बस, तभी से खीर निकलनी बंद। हालांकि आज भी दूध की मलाई जैसी चीज गरम खौलते पानी के साथ निरंतर निकलती रहती है।

Location - खीरगंगा, हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में है। भौगोलिक रूप से यह वृहद हिमालय नेशनल पार्क की बाहरी परिधि पर पार्वती नदी की घाटी में स्थित है। खीरगंगा के जियोग्राफिक को-ओर्डिनेट्स हैं N 31°59.578’ और E 077°30.607’।
Altitude – खीरगंगा की समुंद्र तल से उंचाई है 2804 मीटर यानि लगभग 9200 फीट।

Best Time to Visit – खीरगंगा के लिऐ मौसम सबसे अधिक अनुकूल रहता है मई महीने से लेकर अक्तूबर के अंतिम सप्ताह तक। इस दौरान तापमान 5°C-15°C के आसपास रहता है। जाङों में भी जाया जा सकता है पर उसके लिये आपको बर्फ में चलने का अनुभवी होना चाहिये। जबरदस्त ठंड का सामना तो करना ही पङेगा, साथ ही पहाङों की ढलानें भी बेहद फिसलन भरी हो जायेगीं। खीरगंगा में सर्दियों का तापमान 0°C से काफी नीचे चला जाता है और चारों ओर केवल झक सफेद बर्फ और सन्नाटे के सिवाय कुछ नहीं मिलने वाला। मानसून के दौरान जाने से बचना चाहिये। पगडंडियां फिसलन भरी हो जाती हैं और भू-स्खलन का भी खतरा होता है।

How to Reach - खीरगंगा के लिऐ सबसे नज़दीकी सङक बिंदु है बरशैणी। बरशैणी से खीरगंगा तक लगभग 13 किलोमीटर का पैदल रास्ता है यानि ट्रेकिंग करनी पङती है। बरशैणी एक छोटा सा गांव ही है जो कुल्लू से 54 किलोमीटर, मणिकर्ण से 18 किलोमीटर और दिल्ली से 560 किलोमीटर दूर है। दिल्ली से खीरगंगा के बीच की दूरी है 573 किलोमीटर। सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन है जोगिन्द्रनगर (हिमाचल प्रदेश) लगभग 125 किलोमीटर और सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा है भुंतर (हिमाचल प्रदेश) लगभग 45 किलोमीटर।

• स्व-वाहन - अगर अपने वाहन से जाना हो तो चंडीगढ से राष्ट्रीय राजमार्ग 21 को पकङिये और कुल्लू-मनाली की ओर निकल पङिये। कुल्लू से 10 किलोमीटर पहले भुंतर आता है जहां से राष्ट्रीय राजमार्ग 21 को छोङकर, मणिकर्ण-बरशैणी वाला रोड पकङना होता है। जरी, कसोल और मणिकर्ण होते हुये आसानी से बरशैणी पहुँचा जा सकता है।

• शेयर्ड टैक्सी - सवारियों वाली जीपें और शेयर्ड टैक्सी अलख सवेरे से देर शाम तक चलती रहती हैं। कुल्लू से बरशैणी के बीच इनकी लगातार सर्विस है।

• बस - कुल्लू से बरशैणी के बीच सरकारी और निजी बसें दिन भर चलती रहती हैं। कुल्लू की ओर से अंतिम बस शायद चार बजे और बरशैणी की ओर से अंतिम बस पाँच बजे है।

Itinerary - मैं स्वयं पर्यटकों को यात्राओं पर ले जाता रहता हूँ। यदि आप चाहें तो अपना यात्रा प्रोग्राम मेरे साथ भी सेट कर सकते हैं, वो भी बेहद सस्ते में। अपना प्रस्तावित यात्रा-कार्यक्रम इस प्रकार है-

पहला दिन - दिल्ली से पिक-अप और शाम तक कुल्लू पहुँचना। तत्पश्चात यदि समय उपलब्ध रहे तो कुल्लू के दर्शनीय स्थलों का भ्रमण। रात्रि-विश्राम के लिये होटल के कमरे का प्रबंध। इस रास्ते में रूपनगर (पंजाब) के बाद से ही पर्वतीय मार्ग आरंभ हो जाता है। मण्डी (हिमाचल प्रदेश) के बाद नज़ारे बेहतरीन होते जाते हैं और हवा में भी लगातार ठंडक बढती जाती है। पण्डोह बांध के बाद एक अलग ही दुनिया के दर्शन होने लगते हैं। वाकई ब्यास घाटी बेहतरीन नज़ारे पेश करती है। पण्डोह बांध अपने आप में एक बेहतरीन पिकनिक स्पॉट है। पण्डोह में ही इस क्षेत्र का सुप्रसिद्ध हणोगी माता का विशाल मंदिर भी है जो ब्यास नदी के उस पार स्थित है। झूला-पुल के जरिये वहां तक जा सकते हैं। इसके बाद भारत की सबसे लंबी सङक सुरंग आती है जो औट में है।

दूसरा दिन - सवेरे आराम से उठकर, नहा-धो कर निकलना और दोपहर बाद तक बरशैणी पहुँचना। रास्ते में कसोल और मणिकर्ण जैसी जगहें आती हैं। कसोल हिप्पियों और इज़रायलियों का गढ है। इसी मार्ग से एक रास्ता मलाणा की ओर भी निकलता है जो अपने आप में एक विशिष्ट गांव है। मलाणा के निवासी खुद को अलेक्जेंडर का वंशज मानते हैं। मणिकर्ण में सिक्खों का प्रसिद्ध गुरूद्वारा है, गर्म-ठंडी गुफायें हैं और सल्फर मिश्रित खौलते हुये पानी के प्राकृतिक सोते हैं। तत्पश्चात बरशैणी पहुँच कर होटल के कमरे में कुछ आराम और शाम को मंत्रमुग्ध कर देने वाले बरशैणी की सैर। एक ही समय पर आपके पैरों के नीचे पार्वती नदी की अबाध लहरें होती हैं तो ऊपर बर्फ से लकदक ऊंचे-ऊंचे पर्वत और सामने देवदार व चीङ के घने जंगल। इन्हीं जंगलों में बसे हुये पुलगा और कलगा आदि गांव बरशैणी से साफ दिखाई देते हैं। यहां तक कि बरशैणी से नीचे उतरकर पार्वती की तलहटी पर बने पुल से वहां तक आसानी से जा भी सकते हैं। ये वाकई कमाल की सायंकालीन सैर होगी। रूह तक को तरोताज़ा कर देने वाली, जिसे आप ताउम्र भूल न पायेंगें।

तीसरा दिन - सुबह फ्रेश होकर, नाश्ता करके, खीरगंगा के लिऐ निकलना। यदि आप औसत सेहत वाले हैं तो दोपहर तक पहुँच जाना होता है। इस दिन पैदल ही चलना है यानि ट्रेकिंग करनी है। शुरूआत ही से पार्वती नदी के साथ-साथ चलना होता है। ट्रेक-पथ के आंरभ में ही पार्वती का एक और नदी के साथ संगम देखने को मिलता है। वास्तव में ट्रेकिंग इस संगम ही से शुरू होती है। बरशैणी से लगभग 05 किलोमीटर दूर नकथान गांव पहला पङाव है। भोजन-पानी की अच्छी सुविधा है। यहां तक कि किराये पर कमरे भी मिलते है। वृहद हिमालय राष्ट्रीय उद्यान की बाहरी परिधि पर पार्वती घाटी में नकथान अंतिम आबाद गांव है। इसके 02 किलोमीटर बाद रूद्रनाग आता है जहां एक-दो अस्थाई दुकानें हैं। किसी आपात स्थिति हेतू छोटी सी धर्मशाला भी है। असल में रूद्रनाग किसी बुग्याल जैसा आभास कराता है। ये सचमुच बङी ही खूबसूरत जगह है। रूद्रनाग के तुरंत बाद रास्ता पार्वती के दाईं ओर हो जाता है और देवदार तथा चीङ के उंचे-उंचे घने जंगलों से गुज़रता है। दोपहर तक खीरगंगा पहुँचने के बाद टैंट या अस्थाई आवास में आराम। फिर खीरगंगा की अनछुई खूबसूरती के दीदार। खीरगंगा काफी बङा बुग्याल है जहां आप हिमाचली गद्दीयों से रूबरू हो सकते हो। रात्रि-विश्राम और भोजन खीरगंगा में ही। रात में कैंपफायर का आयोजन।

चौथा दिन - सुबह कभी भी न देखे पंछियों की चहचहाट के साथ नींद के आगोश से निकलकर खीरगंगा के अद्भुत प्रभात का आनंद। फ्रेश होकर वापसी के लिये प्रस्थान। दोपहर तक बरशैणी और शाम तक कुल्लू पहुँचना।

पांचवा दिन - दिल्ली के लिये वापसी के लिये प्रस्थान।

1. इस यात्रा-कार्यक्रम में निम्नलिखित शामिल हैं-
• वातानुकूलित/वोल्वो कोच अथवा कार द्वारा दिल्ली से कुल्लू तक आना और जाना
• टैक्सी/बस अथवा कार द्वारा कुल्लू से बरशैणी तक आना और जाना
• रात्रि-विश्राम के लिये होटलों में कमरे का प्रबंध (ट्विन/ट्रिपल शेयरिंग)
• सभी ब्रेकफास्ट
• सभी प्रकार के टैक्स/टोल टैक्स/परमिट फीस
2. यात्रा-कार्यक्रम में निम्नलिखित शामिल नहीं हैं-
• दिल्ली में निवास/रात्रि-विश्राम
• किसी भी प्रकार के नशीले पदार्थ
• निजी खर्चे, टिप्स, लांड्री आदि
• खराब मौसम जैसी परिस्थितियों के कारण उत्पन्न हुये खर्चे
• ट्रेवल इंश्योरेंस
• किसी स्थान विशेष के फोटोग्राफी चार्ज
• घुङसवारी/राफ्टिंग/स्की आदि वैल्यू एडिड सेवायें
• अन्य कोई भोजन अथवा सेवा
नोट - यात्रा-कार्यक्रम पूरी तरह से फ्लेक्सीबल है। इसमें आप अपनी सुविधा और उपलब्ध समय के अनुसार फेरबदल कर सकते हैं। कृपया किसी भी फेरबदल की जानकारी पहले ही दे दें।

Attractions/ Sightseeing - खीरगंगा का अपना प्राकृतिक सौंदर्य ही इस जगह की सबसे बङी नेमत है। बेशक आप दिल्ली से लगभग छह सौ किलोमीटर दूर मात्र एक खीरगंगा की खूबसूरती देखने आ सकते हैं। पूरी तरह से पैसा वसूल जगह। उंचे-उंचे बर्फीले पहाङों से घिरा अनछुआ सा बुग्याल है खीरगंगा। यहां पर सल्फर मिश्रित गर्म जल दिन-रात निकलता रहता है जिसे एक कुंड में रोक लिया जाता है। खीरगंगा आने वाला लगभग हर एक इंसान इस जल-कुंड में स्नान अवश्य करता है। इस जल में त्वचा रोग और पेट के रोगों को ठीक करने के गुण जो हैं। इसके पास ही एक शिव-मंदिर भी है और कार्तिक-गुफा भी, जिसका संबंध भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय से बताया जाता है।

इसके साथ-साथ ऐडवेंचर स्पोर्टस और हिमालय में ट्रेकिंग के शौकिनों के लिये भी खीरगंगा महत्वपूर्ण है। हिमालय के कुछ जबरदस्त ट्रेकिंग मार्गों के लिये यहीं से रास्ते निकलते हैं। जैसे-
अ. हाम्ता पास – यह ट्रेकिंग मार्ग कुल्लू को लाहौल से जोङता है। खीरगंगा से चलकर तीन-चार दिन में छतरू पहुँच सकते हैं यानि मनाली-काजा सङक पर।
ब. सारा उमगा पास – यह ट्रेकिंग मार्ग कुल्लू को लाहौल स्पीति से जोङता है। इसके द्वारा पांच दिन में स्पीति के कुंजंम दर्रे पर पहुँच सकते हैं। यहां तक कि अतिरिक्त पांच दिन की ट्रेकिंग करके सीधे लद्दाख के बारालाचा दर्रे पर भी पहुँच सकते हैं। इन बढे हुये पांच दिनों में हिमाचल प्रदेश का सबसे बङा और हिमालय का दूसरा सबसे बङा ग्लेशियर “बारा-सिगरी” देखने का मौका मिलता है। चंद्रताल झील भी इसी मार्ग पर है।
स. पिन-पार्वती पास – यह ट्रेकिंग मार्ग कुल्लू को स्पीति से जोङता है। दस-बारह दिन की ट्रेकिंग करके पिन वैली और वहां से काजा पहुँच सकते हैं।
द. मानातलाई लेक – यह एक उच्च पर्वतीय झील है जो पिन-पार्वती दर्रे के मार्ग में स्थित है। खीरगंगा से दो-तीन दिन की ट्रेकिंग कर के इस तक पहुँच सकते हैं।


Food Joints – खाने पीने के शौकिनों के लिये किसी चीज की कोई कमी नहीं है। कुल्लू से भी आगे कसोल में एक से बढकर एक व्यंजन मिल जायेंगें। सादी रोटी-सब्जी से लेकर कांटीनेंटल और सी-फूड तक सब कुछ मिलता है। खीरगंगा में भी खाने पीने की अच्छी व्यवस्था है, हालांकि यहां उपर मांसाहारी व्यंजन नहीं मिलेंगें।

Essentials
1. Petrol pumps/ATM/Bank – भुंतर तक पैट्रोल/डीजल और बैंक/ए.टी.एम सुविधाओं की कोई कमी नहीं है। इसके अलावा शायद कसोल में भी ए.टी.एम सुविधा है।

2. Mobile connectivity – बरशैणी तक मोबाईल कनेक्टिविटी में कोई दिक्कत नहीं है। यहां तक 3G नेटवर्क बखूबी काम करता है। यहां तक कि ट्रेकिंग मार्ग पर नकथान गांव तक भी मोबाईल नेटवर्क काम करते हैं। खीरगंगा में मोबाईल कनेक्टिविटी नहीं है।

3. Medical Facilities – कुल्लू अथवा भुंतर में आपातकालीन चिकित्सीय सुविधायें भली-भांति मिलती हैं। कसोल तक औसत चिकित्सीय सुविधायें मिल जाती हैं। खीरगंगा में चिकित्सीय सुविधा नहीं हैं।

Nakthan Village
नकथान गांव में।



Parbati Valley
नकथान से आगे।


Khirganga Trek
पेड या कंगारू...

Kheerganga Source
खीरगंगा का उद्गम।

Kheer Ganga
खीरगंगा

Kheer Ganga, Kullu
खीरगंगा

View From Kheer Ganga


Myths of Khir Ganga


Kheer Ganga Shiv Temple

Kheer Ganga Meadow

Snowcapped Mountains at Khir Ganga

Mule at Khir Ganga
Born Smart

A Tent-cum-Hotel Owner at Khir Ganga
ये साहब नेपाल से हैं। हर साल खीरगंगा में टैंट लगाते हैं जिसमें अस्थाई होटल चलाते हैं।

Natural Hot Water Springs at Khir Ganga

Photography at Kheer Ganga
स्पीति यात्रा के साथी - रविन्द्र।

Tented Hotels at Khir Ganga

Kheer Ganga, Himachal Pradesh


Waterfall at Khir Ganga
ऐसे झरने यहां कदम कदम पर मिलते हैं।

River Parbati
पार्वती नदी।

Rudranag Meadow
रूद्रनाग में श्वानों संग विश्राम के मूड में जाटराम।

Kheer Ganga Trek Himachal Pradesh
रुद्रनाग

Waterfall on Kheer Ganga Trek

Valley View on Kheer Ganga Trek

Cute Child Nakthan Village
बाशिंदा-ए-नकथान

Nakthan
बां...बां...बां (एक फोटो मेरा भी)

Fodder House at Nakthan
ये हैं नकथान गांव के स्टोर-हाऊस। सर्दियों में जब बर्फ से यहां सब कुछ जम जाता है, तो उस समय के लिये पहले ही ये लोग पशुओं के लिये चारा इकट्ठा कर लेते हैं।

Children Playing at Nakthan Village
चिल्लर पार्टी

Nakthan Local Temple
नकथान गांव में स्थानिय देवी का मंदिर। इस मंदिर की ही तरह बहुत से घर भी केवल लकडी और पत्थर से बने है। लकडी और पत्थर को इस तरह उपर-नीचे लगाकर भवन तैयार कर लेते हैं। इनकी मजबूती सीमेंट से बने भवनों से कम नहीं होती। है ना कमाल की सिविल इंजीनियरिंग।

A Distant Waterfall, seen from Kheerganga Trek

Tosh Village
खीरगंगा ट्रैक की शुरूआत। दाहिने कोने में ऊपर नकथान गांव दिख रहा है जो यहां से तीन किलोमीटर दूर है।

A Riverulet From Tosh

Confluance of Parbati River
इस फोटो का उपरी बायां भाग जूम करके उपर वाले फोटो में दिखाया गया है। दाहिने से आती पार्वती नदी, जो आगे भुंतर में ब्यास में मिल जाती है।

5 टिप्पणियाँ

  1. आपके परिचय के पेज में आपका फेसबुक लिंक गलत है । आपका जिक्र घुमक्कड ब्लागरो की सूची में किया है www.travelufo.com

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. धन्यवाद मुरादाबादी मित्र। फेसबुक लिंक ठीक कर दिया है।

      हटाएं
और नया पुराने