मनाली से होकर स्पीति जाने के लिये मार्गदर्शिका विस्तृत रुप में इस पेज पर नीचे प्रकाशित की गई है। संपूर्ण टिप्स वाले पेज हेतू यहां क्लिक करें। शिमला-किन्नौर से काजा वाले रुट के लिये यहां क्लिक करें।
- कब जायें
- कैसे जायें
- यात्रा प्लान
- दर्शनीय स्थलों की सूची
- रात्रि-विश्राम
1. कब जायें: मनाली से काजा की ओर जाने वाला मार्ग साल-भर में केवल पांच-छह महीने ही खुल पाता है। अक्तूबर-नवंबर से लेकर लगभग जून तक यह मार्ग भारी बर्फबारी के कारण बंद रहता है। जून के बाद बर्फ पिघलने लगती है पर मानसून के कारण चंद्रा घाटी में जबरदस्त भू-स्खलन होने लगते हैं। इस मार्ग पर यात्रा करने का सबसे आदर्श समय है सितंबर से मध्य अक्तूबर।
2. कैसे जायें: मनाली तक पहुँचने में कोई दिक्कत नहीं है। यह सङक मार्ग द्वारा शेष भारत से बहुत अच्छी तरह जुङा हुआ है। मनाली से आगे काजा की ओर जाने के लिये सङक मार्ग ही एकमात्र विकल्प है। मनाली से काजा की दूरी है 210 किलोमीटर। केवल इस दूरी को तय करने में ही लगभग पूरा दिन निकल जाता है। मनाली के बाद रोहतांग दर्रा पार करते हुये ग्रम्फू तिराहे तक जाना होता है जहां से काजा वाला मार्ग दायें हाथ को नीचे चंद्रा घाटी में उतर जाता है और सीधे वाला मार्ग लद्दाख चला जाता है। ग्रम्फू राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 05 का अंतिम बिंदु है जिसे बी.आर.ओ. के अनुसार विश्व की सर्वाधिक दुर्गम सङक का दर्जा प्राप्त है। मैं अपने अनुभवों के आधार पर अच्छे दमखम वाले घुमक्कङों और वाहनों को ही इस मार्ग पर चलने की सलाह दूंगा। स्पीति की ओर आगे बढने के लिये कम से कम एक दिन शरीर को उंचाई के अनुसार ढलने का मौका अवश्य दिया जाना चाहिये। इस काम के लिये यदि मनाली की बजाय सोलांग में रुका जाये तो सर्वोत्तम। मनाली से होकर स्पीति जाने के लिये महत्वपूर्ण प्लान व टिप्स नक्शे के साथ नीचे उपलब्ध हैं।
स्पीति वैली के लिये रोड मैप (वाया मनाली) |
3. यात्रा प्लान:
(क) स्व-वाहन: अगर अपने वाहन से जाते हैं तो रोहतांग पार करने के लिये आपको मनाली से परमिट लेना होगा। अब रोहतांग की ओर वाहनों की संख्या काफी सीमित की जा रही है, शायद एक हजार के आसपास। लद्दाख और लाहौल-स्पीति के लिये इससे भी बहुत कम गाङियों को अनुमति मिलती है। उसमें भी हिमाचल और गैर-हिमाचली वाहनों का अलग-अलग कोटा है। इसलिये परमिट के लिये सवेरे जल्दी उठ कर तैयारी करनी चाहिये। मनाली के एसडीएम कार्यालय जाकर कुछ फीस भरने के बाद परमिट मिल जाता है। मनाली से काजा का रोड मैप नीचे दिया हुआ है।
(ख) निजी टैक्सी: अगर आप निजी टैक्सी से जाते हैं तो मनाली से निजी टैक्सी का किराया 3000 से 3500 रुपये प्रतिदिन हो सकता है। केवल ऐसे टैक्सी ड्राइवर को ही हायर करना चाहिये जो इस रोड का अच्छा अनुभवी हो। ऐसे में पहले दिन ही टैक्सी कन्फर्म कर लेनी चाहिये। तब टैक्सी ड्राइवर खुद ही परमिट का इंतजाम कर लेगा।
(ग) शेयर्ड टैक्सी या सवारी जीप/सूमो: मनाली से काजा की ओर निजी सूमो भी सवारियां ढोती हैं। मनाली से काजा तक इनका किराया एक हजार रुपये के लगभग होता है (सितंबर 2015 के अनुसार)। सवेरे सात-आठ बजे तक ये मिल जाती हैं उसके बाद कोई गारंटी नहीं है। प्रायः ये तभी चलती हैं जब सवारियों की संख्या इनके मुताबिक पूरी हो जाये।
(घ) सरकारी बसें: मेरी जानकारी के अनुसार मनाली से काजा के लिये दिन भर में केवल एक ही बस ही है हालांकि इनकी संख्या दो हो सकती है। सरकारी बस से सफर करने के लिये अलख सवेरे तैयार होना पङेगा। मनाली से काजा तक इनका किराया पाँच सौ रुपये के लगभग होता है (सितंबर 2015 के अनुसार)।
4. दर्शनीय स्थलों की सूची: मनाली खुद ही एक बङा पर्यटक केन्द्र है। मनाली के बाद रोहतांग पास भी बेहतरीन पर्यटक केन्द्र है। इसके बाद पूरी चंद्रा घाटी ही अपने आप में मनमोहिनी है जिसमें विशेष रुप से कोई एक स्थान देखने योग्य नहीं है। चंद्रा घाटी में ग्रम्फू से कुंजुंम जोत तक एक से बढ कर एक खूबसूरत दिलकश नजारे भरे पङे हैं। पहले छतरू है जहां से हामता पास के लिये बायें हाथ को ट्रेंकिंग रूट है जो मणिकर्ण होते हुये कुल्लू जाता है। उसके बाद छोटा धारा है जहां से बायें हाथ को ही सारा-उमगा पास के लिये ट्रेंकिंग रूट है जो पार्वती घाटी को छूता हुआ कुल्लू जाता है। छोटा धारा से ही चंद्रताल और बारा-शिगरी ग्लेशियर को भी ट्रेंकिंग रूट जाता है जो आगे बारालाचा-ला होते हुये लद्दाख पहुँचा देता है। ये दोनों जगहें परफेक्ट कैंपिंग स्पॉट हैं। इसके बाद 4551 मीटर उंचा कुंजुंम पास है जहां से चंद्रताल के लिये ट्रेंकिंग रूट है। लोसर से आगे हंसा में भी पांगपो-ला और किब्बर के लिये ट्रेंकिंग रूट है। उससे आगे पांगमो गांव के बाद घास के बङे-बङे मैदानों से होकर सङक गुजरती है जो उंचे-उंचे पहाङ और स्पीति नदी के विंहगम नजारे पेश करती है। दर्शनीय स्थलों के संपूर्ण विवरण के लिये “हिमाचल मोटरसाईकिल यात्रा” शीर्षक के साथ इसी ब्लॉग पर प्रकाशित किया गया यात्रा-वृतांत पढें।
5. रात्रि-विश्राम: हिन्दुस्तान-तिब्बत रोड की भांति मनाली-काजा रोड रात्रि-विश्राम के लिये बहुत अधिक विकल्प प्रदान नहीं करता है। वैसे होटलों की कोई जरुरत है भी नहीं इस रुट पर। एक ही दिन में मनाली से काजा पहुँच सकते हैं। फिर भी रास्ते में तीन जगह छतरू, छोटा धारा और लोसर में सीमित मात्रा में रात्रि-विश्राम की जगह मिल जायेगी। छतरू और छोटा धारा में हिमाचल सरकार का केवल एक-एक रेस्ट हाउस है। लोसर में सरकारी ठिकाना भी है और कुछ निजी होटल भी। अधिक जानकारी के लिये नीचे उपलब्ध इमेज को देख डालिये।
(क) स्व-वाहन: अगर अपने वाहन से जाते हैं तो रोहतांग पार करने के लिये आपको मनाली से परमिट लेना होगा। अब रोहतांग की ओर वाहनों की संख्या काफी सीमित की जा रही है, शायद एक हजार के आसपास। लद्दाख और लाहौल-स्पीति के लिये इससे भी बहुत कम गाङियों को अनुमति मिलती है। उसमें भी हिमाचल और गैर-हिमाचली वाहनों का अलग-अलग कोटा है। इसलिये परमिट के लिये सवेरे जल्दी उठ कर तैयारी करनी चाहिये। मनाली के एसडीएम कार्यालय जाकर कुछ फीस भरने के बाद परमिट मिल जाता है। मनाली से काजा का रोड मैप नीचे दिया हुआ है।
(ख) निजी टैक्सी: अगर आप निजी टैक्सी से जाते हैं तो मनाली से निजी टैक्सी का किराया 3000 से 3500 रुपये प्रतिदिन हो सकता है। केवल ऐसे टैक्सी ड्राइवर को ही हायर करना चाहिये जो इस रोड का अच्छा अनुभवी हो। ऐसे में पहले दिन ही टैक्सी कन्फर्म कर लेनी चाहिये। तब टैक्सी ड्राइवर खुद ही परमिट का इंतजाम कर लेगा।
(ग) शेयर्ड टैक्सी या सवारी जीप/सूमो: मनाली से काजा की ओर निजी सूमो भी सवारियां ढोती हैं। मनाली से काजा तक इनका किराया एक हजार रुपये के लगभग होता है (सितंबर 2015 के अनुसार)। सवेरे सात-आठ बजे तक ये मिल जाती हैं उसके बाद कोई गारंटी नहीं है। प्रायः ये तभी चलती हैं जब सवारियों की संख्या इनके मुताबिक पूरी हो जाये।
(घ) सरकारी बसें: मेरी जानकारी के अनुसार मनाली से काजा के लिये दिन भर में केवल एक ही बस ही है हालांकि इनकी संख्या दो हो सकती है। सरकारी बस से सफर करने के लिये अलख सवेरे तैयार होना पङेगा। मनाली से काजा तक इनका किराया पाँच सौ रुपये के लगभग होता है (सितंबर 2015 के अनुसार)।
4. दर्शनीय स्थलों की सूची: मनाली खुद ही एक बङा पर्यटक केन्द्र है। मनाली के बाद रोहतांग पास भी बेहतरीन पर्यटक केन्द्र है। इसके बाद पूरी चंद्रा घाटी ही अपने आप में मनमोहिनी है जिसमें विशेष रुप से कोई एक स्थान देखने योग्य नहीं है। चंद्रा घाटी में ग्रम्फू से कुंजुंम जोत तक एक से बढ कर एक खूबसूरत दिलकश नजारे भरे पङे हैं। पहले छतरू है जहां से हामता पास के लिये बायें हाथ को ट्रेंकिंग रूट है जो मणिकर्ण होते हुये कुल्लू जाता है। उसके बाद छोटा धारा है जहां से बायें हाथ को ही सारा-उमगा पास के लिये ट्रेंकिंग रूट है जो पार्वती घाटी को छूता हुआ कुल्लू जाता है। छोटा धारा से ही चंद्रताल और बारा-शिगरी ग्लेशियर को भी ट्रेंकिंग रूट जाता है जो आगे बारालाचा-ला होते हुये लद्दाख पहुँचा देता है। ये दोनों जगहें परफेक्ट कैंपिंग स्पॉट हैं। इसके बाद 4551 मीटर उंचा कुंजुंम पास है जहां से चंद्रताल के लिये ट्रेंकिंग रूट है। लोसर से आगे हंसा में भी पांगपो-ला और किब्बर के लिये ट्रेंकिंग रूट है। उससे आगे पांगमो गांव के बाद घास के बङे-बङे मैदानों से होकर सङक गुजरती है जो उंचे-उंचे पहाङ और स्पीति नदी के विंहगम नजारे पेश करती है। दर्शनीय स्थलों के संपूर्ण विवरण के लिये “हिमाचल मोटरसाईकिल यात्रा” शीर्षक के साथ इसी ब्लॉग पर प्रकाशित किया गया यात्रा-वृतांत पढें।
5. रात्रि-विश्राम: हिन्दुस्तान-तिब्बत रोड की भांति मनाली-काजा रोड रात्रि-विश्राम के लिये बहुत अधिक विकल्प प्रदान नहीं करता है। वैसे होटलों की कोई जरुरत है भी नहीं इस रुट पर। एक ही दिन में मनाली से काजा पहुँच सकते हैं। फिर भी रास्ते में तीन जगह छतरू, छोटा धारा और लोसर में सीमित मात्रा में रात्रि-विश्राम की जगह मिल जायेगी। छतरू और छोटा धारा में हिमाचल सरकार का केवल एक-एक रेस्ट हाउस है। लोसर में सरकारी ठिकाना भी है और कुछ निजी होटल भी। अधिक जानकारी के लिये नीचे उपलब्ध इमेज को देख डालिये।
1. हिमाचल मोटरसाईकिल यात्रा (दिल्ली से नारकंडा) भाग-01
2. हिमाचल मोटरसाईकिल यात्रा (नारकंडा से कल्पा) भाग-02
3. हिमाचल मोटरसाईकिल यात्रा (कल्पा से चांगो) भाग-03
4. हिमाचल मोटरसाईकिल यात्रा (चांगो से लोसर) भाग-04
5. हिमाचल मोटरसाईकिल यात्रा (लोसर से कुल्लू) भाग-05
6. हिमाचल मोटरसाईकिल यात्रा (कुल्लू से दिल्ली) भाग-06
7. स्पीति टूर गाईड
8. स्पीति जाने के लिये मार्गदर्शिका (वाया शिमला-किन्नौर)
9. स्पीति जाने के लिये मार्गदर्शिका (वाया मनाली)