पूर्वोत्तर भारत में तीन दिन बिताने के बाद मैं अब वापस घर की ओर रुख़ कर चुका हुँ। दिल्ली से चलने के बाद मुझे गुवाहाटी पहुँचने में दो दिन लगे थे। अब इतना ही वक्त वापस घर पहुँचने में भी लगेगा। कुल मिलाकर पूर्वोत्तर भारत की इस यात्रा में सात दिन लगे मुझे। इस यात्रा के अनुभवों को आपके साथ सांझा किया। अगर आप भी मेरी तरह फक्कङ घुमक्कङ हैं तो उम्मीद है ये अनुभव आपके भी कुछ काम आ जाऐंगें। आपके भी सुझावों का स्वागत है।
इस यात्रा-वृतांत को शुरु से पढने के लिऐ यहां क्लिक करेंवापसी के सफ़र ने काफी परेशान किया। सीट कन्फर्म थी फिर भी सफ़र का एक बङा हिस्सा खङे खङे तय किया। असल में गरमी और भीङ बहुत थी। ऊपर से यू.पी., बिहार। कोई इन राज्यों से हो तो माफ करना पर आप भी जानते हैं कि यहां से गुजरने वाली ट्रेनों की पान और पसीने की दुर्गंध से कैसी दुर्गति होती है। खासकर बिहार और पूर्वी यू.पी. में। सच तो सच ही होता है, भले ही बुरा लगे। मैं गरमी कम ही सहन कर पाता हुँ। कुछ लोग इसे मेरी कमी कह सकते हैं। मगर क्या करुं भई। मैं तो खुद मजबूर हुँ। घर वापसी के सफ़र में जब ज्यादा परेशान हो जाता था तो ऐ.सी. डिब्बे के दरवाजे के पास आकर खङा हो जाता था। इसे जरा सा खोलकर कई-कई देर तक खङा रहता था, खङा रहता था। डिब्बे के अंदर से बङी ठंडी-ठंडी हवा आती थी। अब सोचता हुँ कि परेशान तो हुआ पर इस तरह किराऐ के दो हजार से भी ज्यादा रुपिऐ बचा लिऐ। अगर थर्ड ऐ.सी. का टिकट भी लेता तो आने-जाने के पंद्रह सौ-पंद्रह सौ के टिकट लगते। स्लीपर में तो पाँच-पाँच सौ से भी कम लगे।
वापसी में बिहार में आई बाढ के कारण ट्रेन का रुट भी कई बार बदला गया। फिर भी बाढ के कुछ हिस्से ने बदले गऐ रुट को भी प्रभावित किया ही। भागलपुर जिले में एक जगह के बाढ के फोटो आप भी नीचे देख सकते हैं। मैं तो सन्न था कि जब परिवर्तित रुट में बाढ का यह रुप है तो मुख्य प्रभावित इलाके का क्या हाल होगा। वापसी के सफ़र में बाकि अधिक तो कुछ बतलाने लायक नहीं है। हां स्वास्थय, आर्थिक खर्च और सफ़र की दुरियों का कुछ ब्यौरा नीचे दे रहा हुँ।
फोटो पसंद नहीं आऐ होंगे बहुत से भद्रजनों को। मैं जानता हुँ। वास्तव में ये इंटरनेट पर डालने के लिऐ खींचे ही नहीं गऐ थे। उस वक्त तो दुर-दुर तक दिमाग में यात्रा ब्लाग लिखने की बात ही नहीं थी।बिहार में बाढ। हरी घास के ठीक ऊपर जो धुंधलापन है, असल में यह दूर तक फैला मटमैला पानी है। |
इसमें बाढ का मटमैला पानी ज्यादा अच्छे से दिखाई देगा। पानी के अंतिम छोर पर जो बिन्दु सा दिख रहा है वो एक बङा सा पेङ है। |
बाढ का एक और सीन। दूर तक चढा हुआ पानी साफ दिख रहा है। |
बाढ |
सोनपुर में उफनती हुई सोन नदी |
शारीरिक
स्वास्थय रिपोर्ट
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यात्रा
पर जाने से
पहले
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यात्रा
में अथवा
लौटने पर
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वज़न
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70 किलो
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65 किलो
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कोई
बीमारी
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बिल्कुल
फिट
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शिलांग
में एक बार बुख़ार
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त्वचा
के रंग में
बदलाव
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हल्का
साँवला (जैसा
है ही)
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साँवलापन
काफी बढ गया
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यात्रा
व्यय रिपोर्ट
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1.
|
बहादुरगढ
से गुवाहाटी
का रेल टिकट
|
480
|
2.
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पहले दिन की शाम
लखनऊ में
चाय-समोसे
|
25
|
3.
|
दुसरे दिन समस्तीपुर
में चाय-पकोङे
|
30
|
4.
|
शाम
को न्यू जलपाईगुङी
में कोल्ड
ड्रिंक व
नमकीन
|
50
|
5.
|
तीसरे दिन की
सुबह
गुवाहाटी स्टेशन
पर चाय
|
05
|
6.
|
स्टेशन
पर बाथरुम
उपयोग
|
10
|
7.
|
गुवाहाटी
से बहादुरगढ का
वापसी रेल
टिकट
|
480
|
8.
|
गुवाहाटी
स्टेशन पर
रोटी-सब्जी
|
15
|
9.
|
गुवाहाटी
से शिलांग का
किराया
|
150
|
10.
|
शिलांग
में होटल का
कमरा
|
400
|
11.
|
शिलांग
में शाम को माजा
(आम का जूस) और
बिस्कुट का पैकेट
|
60
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12.
|
चौथे दिन मारुति
800 का
किराया
|
30
|
13.
|
आई. आई.
एम शिलांग में
खाना
|
20
|
14.
|
आई. आई.
एम शिलांग से
वापसी की बस टिकट
|
10
|
15.
|
शिलांग
से बङापानी (उमियाम
झील) टैक्सी
|
50
|
16.
|
उमियाम
झील से गुवाहाटी
|
90
|
17.
|
गुवाहाटी
स्टेशन पर
चावल-राजमा
|
30
|
18.
|
पाँचवें दिन कामाख्या
मन्दिर
आना-जाना और
प्रसाद
|
25, 25, 21
|
19.
|
दोपहर
और शाम का
खाना
|
70
|
20.
|
छठे दिन का
खाना
|
100
|
21.
|
सातवें दिन का
खाना
|
70
|
22.
|
अन्य
कुछ (यदि कुछ
बचा भी हो तो)
|
200
|
23
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कुल
खर्च (रुपये में)
|
2446
|
Bhai badi paresani uthai aapne...Jab blog padha to pata nhi tha bahadurgarh ka ladka hoga bcz me b bahadurgarh se hun..Line par se....
जवाब देंहटाएंहा हा हा, बराही
हटाएंपढ़कर ऐसा लगा जैसे मै घूमकर वापस आ गया
जवाब देंहटाएंआपका धन्यवाद मित्र
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