स्पीति टूर गाईड

स्पीति, एक ऐसी जगह जो हर मौसम में अपने अलग-अलग रंग दिखाती है। जो वहां नहीं गये वो स्पीति के न जाने कितने रुप मन में बसाये फिरते हैं। किन्नौर-स्पीति-लाहौल घाटियों का सफर उत्तेजना और रोमांच से भर देता है। किसी भी अन्य यात्रा के मुकाबले स्पीति भ्रमण बेहद दुर्गम है। कोई अगर लद्दाख हो आया है और अपने आप को तीस मार खाँ समझे तो स्पीति के यात्री भी किसी भी तरह से पच्चीस मार खाँ नहीं है। लद्दाख और स्पीति में समान भौगोलिक परिस्थितियां मिलती हैं। दुर्गमताओं को पार करने का इनाम हर मोङ पर मिलता है। हिमालय हर बार नये रुप में सामने होता है। दूसरी चीजें भी बदलती जाती हैं, जैसे लोग, भाषा, भूगोल, सङक, सब कुछ यहां तक कि कई मायनों में खुद आप भी। मुख्यतः काजा ही स्पीति का मध्य-बिंदु है और आप जैसे-जैसे इस केन्द्र की ओर बढते जायेंगें तो स्थानिय बोली, सङक और भूगोल जटिल होते जायेंगें लेकिन स्थानिय लोग और उनका व्यवहार सरल होता जायेगा। इस पर भी संवाद की ओर से तनिक भर भी परेशान होने की जरूरत नहीं चूंकि हिन्दी खूब बोली और समझी जाती है। “हिमाचल मोटरसाईकिल यात्रा” शीर्षक के साथ इसी ब्लॉग पर छह अंकों में प्रकाशित किया गया यात्रा-वृतांत दिल्ली-काजा-दिल्ली भ्रमण का उम्दा मार्गदर्शक है। तो भी इस लेख के जरिये स्पीति यात्रा से जुङी हर जिज्ञासा को वन-स्टॉप-सर्च के आधार पर पूरी करने का प्रयास किया जायेगा।


  1. कब जायें
  2. कैसे जायें
  3. स्पीति यात्रा प्लान
  4. यात्रा प्लान के लिये सुझाव
  5. यात्रा का अनुमानित ख़र्च
  6. रात्रि-विश्राम
  7. महत्वपूर्ण संसाधनों की उपलब्धतायें


1. कब जायें: स्पीति में अक्तूबर-नवंबर से ही बर्फ का गिरना आरंभ हो जाता है। फिर सर्दियों-भर की भारी बर्फबारी के बाद स्पीति मई-जून के आसपास खुलना शुरू करती है लेकिन इसी के साथ मानसून आगमन भी हो जाता है। स्पीति में हालांकि बारिश बेहद कम होती है लेकिन वहां तक पहुँचने के लिये हिमालय के जिन इलाकों से होकर गुजरना होता है वहां तो बदरा झमाझम बरसते ही हैं। अगर अगस्त से पहले जाते हैं तो पूरी संभावना है कि स्पीति घाटी में घुसने से पहले ही मानसून आपको दबोच लेगा और आपको जबरदस्त भू-स्खलनों का सामना करना पङेगा। ऐसे में स्पीति के लिये सबसे अच्छा समय है मध्य अगस्त से मध्य अक्तूबर तक। इस दौरान कभी भी जाया सकता है। इसमें भी पूरा लुत्फ उठाने के लिये परफेक्ट समय है सितंबर का महीना। इस वक्त स्पीति के लगभग हर एक दर्शनीय स्थलों के मार्ग खुले मिलते हैं। बरसात की संभावना कम से कम होती है और मौसम भी सुहावना बना रहता है।

2. कैसे जायें: स्पीति तक न रेल पहुँचती है और न ही हवाई जहाज। काजा का निकटतम रेलवे स्टेशन शिमला (450 किलोमीटर) है और निकटतम हवाई अड्डा भुन्तर (250 किलोमीटर)। यहां सङक मार्ग से ही जाया जा सकता है, वो भी मात्र दो तरफ से। पहला मनाली की तरफ से और दूसरा शिमला-किन्नौर की तरफ से। दोनों ही मार्ग काफी दुर्गम हैं जिनकी सङकों की दशा अच्छी नहीं है। शिमला-किन्नौर वाला रास्ता बर्फ गिरने के बावजूद लगभग साल-भर खुला रहता है लेकिन यह काफी लंबा है। इस रूट पर काजा और शिमला के बीच की दूरी लगभग साढे चार सौ किलोमीटर है। शिमला-काजा रूट की विस्तृत जानकारी के लिये यहां क्लिक करें। दूसरी ओर मनाली से काजा वाला रूट साल भर में लगभग छह महीने (मई से अक्तूबर) ही खुल पाता है और सर्दियों की भारी बर्फबारी के कारण बाकि समय बंद रहता है। यह मार्ग केवल जीवट वाले घुमक्कङों और वाहनों के लिये ही है। इस मार्ग से मनाली और काजा के बीच की दूरी है लगभग दो सौ किलोमीटर। मनाली-काजा रूट की विस्तृत जानकारी के लिये यहां क्लिक करें।

3. यात्रा प्लान:
(क) रुट का चुनाव- सबसे पहले तो अपनी पंसद का रूट ही चुनना होता है। तत्पश्चात ही यात्रा का कार्यक्रम सेट किया जा सकता है। कई सारे दर्शनीय स्थल मार्ग में पङते हैं। आप कहां-कहां घुमना चाहते हैं या किस जगह को छोङ सकते हैं, यह तो व्यक्तिगत इच्छा पर ही निर्भर है। यदि आप एक ही मार्ग से जाकर उसी से वापस लौटते हैं तो यकीनन समय कम लगेगा। और यदि एक मार्ग से जाकर दूसरे वाले से लौटते हैं तो समय कुछ अधिक लगेगा, इस पर भी बहुत अधिक फ़र्क नहीं पङेगा। सार्वजनिक परिवहन प्रणाली का ब्यौरा इन लिंक्स पर उपलब्ध है। संबंधित दर्शनीय स्थलों का विस्तृत ब्यौरा भी इन लिंक्स पर उपलब्ध है।
Tips and Tricks for Spiti Travel Plan (via Shimla)
Spiti Travel Plan – Tips and Tricks (via Manali)
अगर मनाली की ओर से जा रहे हैं तो मनाली को अपना बेस समझें और अगर शिमला की ओर से जा रहे हैं तो रामपुर या सराहन को अपना बेस समझें। मेरी राय में शिमला की ओर से जाना सर्वाधिक फायदेमंद है। इसका एक कारण है कि इस रुट पर उंचाई धीरे-धीरे बढती है जिससे शरीर आसानी से परिस्थितियों के अनुसार ढल जाता है और AMS की दिक्कत नहीं आती। इसी की वजह से तुरत-फुरत काजा पहुँचने का दबाव भी नहीं रहता। एक और अन्य कारण है कि सबसे अधिक दर्शनीय स्थल भी इसी रुट पर पङते हैं।

(ख) परिवहन का चुनाव- बेस-प्वाइंट निर्धारित करने के बाद चुनाव आता है वाहन का। पब्लिक ट्रांसपोर्ट से जायें कि अपना खुद का वाहन लेकर। इन दोनों ही विकल्पों में और भी विकल्प खुलते हैं। अगर पब्लिक ट्रांसपोर्ट से जाते हैं तो पहला ऑप्शन है सरकारी बसें। दूसरा ऑप्शन है निजी ट्रांसपोर्टर जिनमें जीप, सूमो आदि गाङियां शामिल हैं। तीसरा ऑप्शन है प्राईवेट टैक्सी। काजा की ओर जाने के लिये सरकारी बसें सबसे सस्ता साधन हैं पर संख्या में बेहद कम हैं और अलख सवेरे चलती हैं। यदि आप सुबह जल्दी न उठ पाये तो अगले दिन तक इंतज़ार करना पङेगा। जीप और सूमो आदि कामचलाऊ संख्या में हैं और सरकारी बसों से थोङी महंगी पङती हैं। उदाहरण के लिये काजा से मनाली के दो सौ किलोमीटरों के लिये इनका किराया लगभग एक हजार रुपये प्रति व्यक्ति है। इनसे यात्रा करने के लिये भी सवेरे जल्दी उठना फायदेमंद रहता है। यदि बजट की ओर से चिंता करने की जरुरत न हो तो अंतिम ऑप्शन के रुप में प्राईवेट टैक्सी ले सकते हैं। फिर तो जब मन करे, उठें और जब मन करे, चलें। लेकिन रात का सफर भूल कर भी न करें।

यदि अपना खुद का वाहन लेकर जाते हैं तो मोटरसाईकिल से जा सकते हैं या फिर कार से भी। लेकिन दोनों ही प्रकार के वाहन दमखम वाले होने चाहिये। दो सवारियों के लिये कम से कम 150 सीसी की मोटरसाईकिल और एकल सवारी के लिये कम से कम 125 सीसी की मोटरसाईकिल जरूरी है। इसी तरह कारों के मामले में कम से कम 1000 या 1200 सीसी की गाङी होनी चाहिये जिसका ग्राउंड क्लीयरेंस उंचा हो, साथ ही सवारियां भी ड्राईवर समेत चार-पांच से ज्यादा नहीं होनी चाहिये। चाहे कोई भी निजी वाहन हो, यात्रा से वापस आते ही सामान्य से अधिक मेंटीनेंस और सर्विस लागत के लिये तैयार रहना चाहिये। उपरोक्त वाहनों से कमतर क्षमता के वाहन भी स्पीति की ओर निकल जाते हैं लेकिन वे कैसे वापस आते हैं, उन्हें लाने वाले ही जानते हैं। मैं तो इस चीज का भुक्तभोगी हूँ, इसीलिये जानता हूँ। अपने साथ-साथ औऱ भी कईयों की दुर्गति होते मैंने देखी है।

4. यात्रा प्लान के लिये सुझाव:
(क) दस दिन की यात्रा के लिये:
पहला दिन- दिल्ली से नारकंडा
दूसरा दिन- नारकंडा से सराहन का भीमाकाली मंदिर देखते हुये सांगला
तीसरी दिन- छितकुल घुमकर रिकांगपिओ होते हुये कल्पा
चौथा दिन- कल्पा से रोघी घुमकर नाको देखते हुये चांगो तक
पांचवा दिन- ताबो और धनकर देखते हुये काजा तक
छठा दिन- काजा और इसके आसपास के गांव और गोंपा
सातवां दिन- काजा-मूरंग रोड के नजारे लेते हुये लोसर और कुंजुंम पास से होकर चंद्रताल
आठवां दिन- मनाली
नौंवा दिन- कुल्लू और मणिकर्ण अथवा मलाणा अथवा नग्गर
दसवां दिन- दिल्ली वापस
(ख) एक सप्ताह की यात्रा के लिये
 पहला दिन- दिल्ली से नारकंडा
दूसरा दिन- नारकंडा से रिकांगपिओ होते हुये कल्पा
तीसरी दिन- कल्पा से रोघी घुमकर नाको देखते हुये चांगो तक
चौथा दिन- ताबो  देखते हुये काजा से किब्बर-कीह देखते हुये लोसर तक
पांचवा दिन-  कुंजुंम पास से होकर चंद्रताल
छठा दिन- मनाली अथवा कुल्लू अथवा मणिकर्ण
सातवां दिन- दिल्ली वापस

5. यात्रा का अनुमानित ख़र्च: यह भी आपकी व्यक्तिगत आदतों पर निर्भर करता है। आप क्या खाते हैं, कहां रुकते हैं, किस वाहन का इस्तेमाल करते हैं आदि। अगर रुपये के मोर्चे पर कोई दिक्कत नहीं है तो किसी सलाह की आवश्यकता नहीं। लेकिन यदि आप बजट ट्रेवलर हैं तो मोटा-माटी अनुमान के लिये नीचे दी गई स्पीति यात्रा व्यय सारणी देख सकते हैं। यह मेरी अपनी स्पीति यात्रा के खर्च का संपूर्ण विवरण है।
स्पीति यात्रा का खर्च
16 सितम्बर 2015 दिल्ली से नारकंडा (वाया पिंजौर, शिमला)
पहला दिन
क्र
मद
व्यय (रुपये)
1
पहले दिन पैट्रोल (9.50 लीटर)
600
2
पिंजौर गार्डन की एण्ट्री टिकट (20x2)
40
3
पिंजौर गार्डन पार्किंग शुल्क
10
4
दूध के वास्ते दो गिलास
10
5
सोलन में पैट्रोल-एक्सट्रामाईल (6.00 लीटर)
400
6
सोलन पार खाना और चाय
150
7
नारकंडा में कमरा
600
8
नारकंडा में खाना
170
9
मोबाईल रिचार्ज
220
10
पेन
20
पहले दिन का कुल खर्च
2220
17 सितम्बर 2015 नारकंडा से कल्पा (वाया रामपुर, रिकांगपिओ)
दूसरा दिन
1
रामपुर में चाय और ब्रेड
30
2
रामपुर में पैट्रोल (4.50 लीटर)
300
3
पोवारी में चाय और समोसे
35
4
कल्पा में होटल
500
5
कल्पा होटल में खाना
164
दूसरे दिन का कुल खर्च
1029
18 सितम्बर 2015 कल्पा से चांगो (वाया पूह, नाको)
तीसरा दिन
1
कल्पा में चाय
30
2
स्पीलो में चाय
20
3
नाको से चांगो (रविन्द्र का बस किराया)
20
4
चांगो में चेन टाईट
10
5
चांगो में होटल
250
6
चांगो में खाना
140
तीसरे दिन का कुल खर्च
470
19 सितम्बर 2015 चांगो से लोसर (वाया ताबो, काजा)
चौथा दिन
1
ताबो में पैट्रोल (5.00 लीटर)
450
2
काजा में पैट्रोल (6.25 लीटर)
400
3
लोसर में खाना और चाय
220
4
लोसर में कमरा
100
चौथे दिन का कुल खर्च
1170
20 सितम्बर 2015 लोसर से कुल्लू (वाया कुंजुंम पास, मनाली)
पांचवा दिन
1
लोसर में चाय
20
2
छतरू में गाङी वाले को चावल और हमारे लिये चाय
110
3
पिक-अप वाले को (मोटरसाईकिल लदान के)
1400
4
कुल्लू में कमरा
500
5
कुल्लू में खाना
140
पांचवें दिन का कुल खर्च
2170
21 सितम्बर 2015 कुल्लू से दिल्ली (वाया चंडीगढ, सोनीपत)
छठा दिन
1
मण्डी में खाना और चाय
100
2
चंडीगढ में पैट्रोल
300
3
अंबाला पार शिकंजी
35
4
करनाल में खाना
65
छठे दिन का कुल खर्च
500
स्पीति यात्रा का कुल खर्च (दो आदमी, छह दिन) = 7559 रुपये
मेरा हिस्सा = 3500 रुपये
रविन्द्र का हिस्सा = 4059 रुपये

6. रात्रि-विश्राम: रात के ठहरने के लिये अधिक चिंता न करें। दिल्ली से चलकर काजा का चक्कर लगाते हुये वापस दिल्ली लौटने तक रात में रुकने की कोई समस्या नहीं आने वाली। जिधर से भी जायेंगें, आम स्वीकार्य कमरे अवश्य मिलेंगें, वो भी आम जरुरत की लगभग सभी सुविधाओं के साथ। हां, अगर आप लग़्जरी होटलों के आदी हों तो उस दशा में बङी दिक्कत आ सकती है।
Accommodation Availability in Spiti Trip - Shimla Kaza Road
शिमला-काजा मार्ग पर रात्रि-विश्राम के ठिकाने

Accommodation Availability in Spiti Trip - Manali Kaza Road
मनाली-काजा मार्ग पर रात्रि-विश्राम के ठिकाने

7. महत्वपूर्ण संसाधनों की उपलब्धतायें: स्पीति कई मायनों में भारत का अविकसित इलाका है। पर्यटन की अपार संभावनाओं के बावजूद यहां वैसा विकास नहीं हो पाया है जिसकी कि आवश्यकता है। बेहद मुलभूत सुविधाओं तक की कमी है।
(क) ए.टी.एम अथवा करेंसी चेंज- यह सुविधा केवल मात्र काजा में है, वो भी सिर्फ भारतीय स्टेट बैंक की ओर से। काजा के अतिरिक्त पूरे स्पीति में ए.टी.एम सुविधा कहीं नहीं है। यह भी अपर्याप्त बिजली आपूर्ति के कारण किसी भी समय बंद हो सकती है। अतः पर्याप्त मात्रा में नकद धन लेकर चलना चाहिये। भारतीय स्टेट बैंक की एक शाखा काजा के अतिरिक्त हंसा में भी है।
(ख) पैट्रोल पंप- पूरी स्पीति घाटी में एकमात्र फ्यूल-पंप काजा में ही है। यहां पैट्रोल और डीजल दोनों ईंधन मिलते हैं। काजा के अतिरिक्त अनाधिकारिक रुप से भी पैट्रोल-डीजल कहीं-कहीं मिल जाते हैं लेकिन न उस तेल की गुणवत्ता का कोई भरोसा है न ही किसी समय विशेष पर उपलब्धता का। उसके दाम भी आमतौर पर प्रति इकाई डेढ गुणा अधिक देने होते हैं। किन्नौर की ओर से जाते हुये पूह, नाको, चांगो, ताबो में अनाधिकारिक तेल मिल जाता है। इसी तरह मनाली की ओर से जाते हुये लोसर, हंसा में अनाधिकारिक तेल मिल जाता है।
(ग) अस्पताल- चाहे आप किसी भी ओर से जायें, काजा से पहले कहीं पर भी अच्छी चिकित्सीय सुविधा की उम्मीद न करें। काजा के अलावा लरी और ताबो में छोटे अस्पताल की संभावना हो सकती है। एक कामचलाऊ डॉक्टर लोसर में भी है।
(घ) मैकेनिक- काजा के अतिरिक्त पूरी स्पीति और चंद्रा घाटी में कहीं भी ऑटो-मैकेनिक नहीं मिलने वाले। केवल मोटरसाईकिलों के दो छोटे-मोटे मैकेनिक चांगो और ताबो में हैं। मेरी जानकारी के अनुसार टायर पंक्चर की दुकान तक पूह, चांगो, लरी, ताबो, काजा और लोसर के सिवाय कहीं नहीं हैं। इसलिये पंक्चर किट साथ लेकर चलनी चाहिये। रिकांगपिओ से काजा तक कोई मैकेनिक नहीं है। इसी तरह काजा से मनाली के बीच भी कोई मैकेनिक नहीं है। छोटे से छोटा टैक्निकल डाऊन भी बेहद महंगा पङ सकता है। टो-अवे की कोई सुविधा नहीं मिलने वाली। जबरदस्त उंचाईयों वाले पहाङों में कोई आपकी गाङी को टो करेगा भी नहीं।
(ङ) मोबाईल फोन नेटवर्क- बी.एस.एन.एल (प्रीपेड और पोस्टपेड दोनों) के अतिरिक्त पूरी स्पीति और चन्द्रा घाटी में अन्य कोई मोबाईल फोन नेटवर्क नहीं है। यह भी किन्नौर की ओर से जाते हुये पोवारी के बाद केवल चांगो (रात के ग्यारह बजे से सुबह पांच बजे तक) और ताबो (लगभग चौबीस घंटे) में ही है। इसी तरह मनाली की ओर से जाते समय ग्रम्फू से काजा तक लोसर (लगभग चौबीस घंटे) के सिवाय कहीं भी मोबाईल फोन नेटवर्क नहीं है। काजा में भी एकमात्र बी.एस.एन.एल का ही नेटवर्क है।

सभी सूचनाओं से लैस होने के बावजूद जरूरी नहीं है कि किसी यात्रा के दौरान आप सदैव अपने तय शेड्यूल से ही चलें। कई बार चीजें अपने हाथ में नहीं होती हैं। बहुत से फैक्टर होते हैं जो आपके शेड्यूल को प्रभावित करते हैं। खासकर हिमालय में तो प्रकृति ही निर्धारक होती है और आप स्वयं को परिस्थितियों का दास बना हुआ पाते हैं। और भी फैक्टर होते हैं जैसे आपकी सवारी, वो जो आपका सहयात्री है और यहां तक कि खुद आपका अपना शरीर औऱ सेहत। इन सारी चीजों में बेहतर तालमेल के बिना यात्राऐं अच्छी तरह कर पाना संभव नहीं है।

यह लेख और इस पर उपलब्ध लिंक्स का मकसद स्पीति यात्रा के लिये आपका मार्गदर्शन करना है। मुझे पूरी उम्मीद है कि इस काम में यह प्रयास सफल भी होगा। किसी भी तरह के सुझाव से अवश्य अवगत कराईये। आपके नाम के साथ आपका सुझाव भी अवश्य प्रकाशित किया जायेगा (केवल आपकी अनुमति से)।
...................................
1. हिमाचल मोटरसाईकिल यात्रा (दिल्ली से नारकंडा) भाग-01
2. हिमाचल मोटरसाईकिल यात्रा (नारकंडा से कल्पा) भाग-02
3. हिमाचल मोटरसाईकिल यात्रा (कल्पा से चांगो) भाग-03
4. हिमाचल मोटरसाईकिल यात्रा (चांगो से लोसर) भाग-04
5. हिमाचल मोटरसाईकिल यात्रा (लोसर से कुल्लू) भाग-05
6. हिमाचल मोटरसाईकिल यात्रा (कुल्लू से दिल्ली) भाग-06
7. स्पीति टूर गाईड
8. स्पीति जाने के लिये मार्गदर्शिका (वाया शिमला-किन्नौर)
9. स्पीति जाने के लिये मार्गदर्शिका (वाया मनाली)

2 टिप्पणियाँ

और नया पुराने